Langda Bukhar Kya Hota Hai, क्या है लक्षण और कैसे करें बचाव
मौसम बदल रहा है और इस मौसम में होने वाली बारिश के चलते पशुओं में अब लंगड़ा बुखार के प्रकोप की सम्भावना बढ़ रही है। लंगड़ा बुखार एक जीवाणु के कारन होता है जो अक्सर बिना मौसम के बारिश होने के कारण मिटटी से पैदा होता है। लंगड़ा बुखार से अपने पशुओं को शुरुआत में ही बचाव करने के लिए आपको शुरू में ही उनकी पहचान करनी बहुत जरुरी होती है नहीं तो ये बुखार पशुओं के लिए जानलेवा बन सकता है।
पुरे भारत में आज के समय में पशुपालन का बिज़नेस काफी तेजी के साथ में आगे बढ़ रहा है और किसान इस बिज़नेस के काफी कमाई भी कर रहे है। आपको बता दें की देश में दूध की मांग भी बढ़ने के कारण पशु पालन का व्यवसाय काफी तेजी के साथ में बढ़ा है। पशुपालन के व्यवसाय को सुचारु रूप से चलने के लिए आपको पशुओं में आने वाले इस लंगड़ा बुखार के प्रकोप और इसके लक्षण के बारे में पहले से जानकारी होना बहुत जरुरी होता है। चलिए जानते है किसान योजना डॉट ओआरजी के इस आर्टिकल में की आखिर लंगड़ा बुखार के लक्षण क्या है और इससे कैसे पशुओं का बचाव किया जा सकता है।
लंगड़ा बुखार क्या है?
बारिश होने के कारण मिटटी में एक जीवाणु उत्पन्न होता है जिसका नाम क्लोस्ट्रीडियम चौवई है और ये जीवाणु ही पशुओं में लंगड़ा बुखार लेकर आने का प्रमुख कारण होता है। आमतौर पर ये जीवाणु पशु को नुकसान नहीं करते लेकिन अगर पशु पर जरा सा भी कहीं पर घाव होता है तो उसके जरिये ये पशु के शरीर पर हमला करते है।
इसके साथ ही इन जीवाणुओं के कारण आने वाले बुखार से ज्यादातर 6 महीने से लेकर 24 महीने की उम्र के पशु ही पीड़ित होते है। समय रहते अगर इस बुखार की पहचान कर ली जाती है तो आसानी से पशुओं का इलाज किया जा सकता है और देरी होने पर ये लंगड़ा बुखार पशुओं की जान तक ले सकता है।
लंगड़ा बुखार के लक्षण क्या होते है?
अगर आपके पशुओं में लंगड़ा बुखार की शिकायत है तो आप उसको आसानी के साथ में पहचान कर सकते है। सबसे पहले तो लंगड़ा बुखार आते ही पशुओं के शरीर का तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है और ये लगभग 107 डिग्री तक भी पहुंच जाता है। इसके अलावा अगर आपके पशु ने अचानक से खाना पीना छोड़ दिया है तो ये भी लंगड़ा बुखार होने के लक्षण हो सकते है।
इसके अलावा बुखार का प्रकोप तेज होने के कारण पशुओं में लंगड़ाने की समस्या उत्पन्न हो जाती है और पैरों में बुखार के कारण होने वाले दर्द से पशु ठीक से चल नहीं पाता है। अगर समय रहते पशु को संभाला नहीं जाए तो मुश्किल से दो या फिर तीन दिन में ये बुखार पढू की जान ले लेता है। इसलिए लंगड़ा बुखार के लक्षणों को पहचान कर अपने पशु को समय रहते इलाज उपलब्ध करवाकर आप उसकी जान बचा सकते है।
लंगड़ा बुखार के लिए क्या उपचार है?
अगर आपको लगता है की आपके पशु में लंगड़ा बुखार के लक्षण नजर आ रहे है तो आपको तुरतं से अपने पशु चिकित्सक को सूचित करना है और उसको अपने पशुओं को चेक करवाना है। लंगड़ा बुखार एक ऐसी बीमारी है जिसमे उपचार की सीमाएं बहुत कम है और समय रहते सही तरीकों का इस्तेमाल करके ही पशु की जान बचाई जा सकती है।
बहुत से केस में ये देखा गया है की पशुओं में चीरा लगाकर इसकी रोकथाम की जाती है लेकिन आपको खुद से ये नहीं करना है क्योंकि बिना चिकित्सक के ये काफी गंभीर परिणाम वाला हो सकता है। इसलिए डॉक्टर के परामर्श के अनुसार ही आपको कार्य करना है।
दर्द के कारण पशुओं में होने वाली सूजन को लेकर ही चीरा लगाने का कार्य किया जाता है। इसलीये डॉक्टर से सही इलाज करवाकर ही पशु की जान बचाई जा सकती है। अपने घर पर किसी भी प्रकार का देशी इलाज ना करें। हालाँकि ये बात सही है की आयुर्वेद से इलाज किया जा सकता है लेकिन उसके लिए भी आपको किसी वैध को बुलाना होता है।