5 दिन पहले पता लगेगा मौसम का हाल , किसानो को व्हाट्सप्प ग्रुप से से जोड़ेगा मौसम विभाग
पिछले दिनों हुई बारिश और ओलावृष्टि की वजह से किसानो की फैसले तबाह हो चुकी है और पुरे देश में करोड़ो रूपये की फसल ख़राब हुई है। किसानों को मौसम की मार करीब-करीब हर साल झेलनी पड़ती है। अब मौसम विभाग का नया सिस्टम इस दिशा में मददगार साबित हो सकता है।
![बारिश और ओलावृष्टि](https://kisanyojana.org/wp-content/uploads/2023/03/86-780x470.jpg)
अब राजस्थान मौसम विज्ञानं केंद्र की तरफ से प्रदेश के करीब 10 लाख किसानो को मौसम विभाग के व्हाट्सप्प ग्रुप से सीधा जोड़ा जायेगा। जिससे उनको पांच दिन पहले मौसम की पूर्ण जानकारी मिल पायेगी और किसान अपनी फसल को सुरक्षित कर पाएंगे बारिश-ओले का अलर्ट हो या खेती को प्रभावित करने वाली अन्य मौसमी गतिविधियां, किसानों को 4-5 दिन पहले ही चेतावनी मिल जाएगी।
शनिवार को जयपुर मौसम विभाग की ‘वेदर फोरकास्ट और अर्ली वार्निंग सिस्टम’ पर वर्कशॉप हुई। इसमें बताया गया कि हर ग्राम पंचायत पर बने कृषि सेवा केंद्र और कृषि विकास केंद्रों पर वॉट्सऐप ग्रुप बनाने का काम शुरू भी कर दिए हैं।
मौसम केंद्र जयपुर के निदेशक राधेश्याम शर्मा ने बताया- इस वॉट्सऐप ग्रुप नेटवर्क पर हम प्रदेश के 10 लाख से ज्यादा किसानों को जोड़ने की योजना बना रहे हैं। इससे किसानो को डायरेक्ट फायदा होगा और उनको 4-5 दिन पहले ही आगामी मौसम की सूचना दी जा सके। इससे किसान अपनी फसल को बचा सकेंगे वर्कशॉप में आपदा प्रबंधन एवं राहत मंत्री गोविंद राम मेघवाल भी मौजूद रहे।
फोरकास्ट को गलत मानते है कई लोग
मौसम केंद्र दिल्ली डिप्टी जनरल मैनेजर चरण सिंह ने बताया- बहुत से लोग ऐसे है जो मौसम विभाग के द्वारा जारी किये जाने वाले अलर्ट को सही नहीं मानते है खासकर तापमान को लेकर जारी किये गए अलर्ट को लेकर लोगो को संदेह होता है हम जो भी फोरकास्ट (भविष्यवाणी) करते हैं, वो ग्लोबल लेवल पर मिले करंट डेटा और पुराने डेटा का एनालिसिस करके करते हैं। लॉन्ग रेंज फोरकास्ट तक की भविष्यवाणी इन डेटा पर ही निर्भर होती है। अब के समय में उन्नत तकनीक के आने से शॉर्ट या मीडियम रेंज फोरकास्ट की एक्यूरेसी पिछले 10-15 साल से बहुत ज्यादा सटीक होने लगी है।
मौसब विभाग देगा 5 दिन से फोरकास्ट 80% तक सटीक
माैसम केंद्र जयपुर के निदेशक राधेश्याम शर्मा ने बताया- वर्तमान में जयपुर मौसम विभाग में सरकार की तरफ से डॉप्लर रडार के अलावा एडवांस तकनीक का सिस्टम लगाया गया है। इन एडवांस तकनीक के डॉप्लर राडार की मदद से हम हम शॉर्ट रेंज और मीडियम रेंज फोरकास्ट जारी करते हैं। इन फोरकास्ट की एक्यूरेसी 80 फीसदी तक रहती है। मौसम विभाग ने दी जानकारी के अनुसार अब डॉप्लर रडार की मदद से अगर किसी जगह बारिश, ओलावृष्टि या आंधी आने की आशंका रहती है तो उसे 4-5 दिन पहले बताया जा सकता है। अगर ये बात किसानों को 4-5 दिन पहले पता चला जाए तो वे अपनी फसलों को बचाने या उनके नुकसान को कम करने की दिशा में कदम उठा सकते हैं।
टेम्प्रेचर मापने की तकनीक है 100 साल पुरानी
सीनियर साइंटिस्ट हिमांशु शर्मा ने मौसम केंद्र में लगे एडवांस तकनीक के उपकरण और डॉप्लर रडार सिस्टम की जानकारी देते हुए कहा की आज के समय में मौसम विभाग के पास भले ही एडवांस डॉप्लर टेक्निक के राडार और उपकरण आ गए है लेकिन आज भी हम 100 साल पुरानी तकनीक के माध्यम से ही तापमान का पता लगाते है और ये 100 प्रतिशत तक सटीक तकनीक है। उन्होंने बताया कि भले ही आज एडवांस टेक्नोलॉजी के रडार, सिस्टम देश-दुनिया में आ गए हों ये तकनीक आज भी सबसे ज्यादा सटीक रहती है और इसे पूरे देश अपनाया जाता है।
मौसम विभाग में लगा है AWS
जयपुर मौसम केंद्र में ऑटोमैटिक वेदर सिस्टम (AWS) भी लगा है, जो डिजिटल सिस्टम से अधिकतम-न्यूनतम तापमान मापने, बारिश का मेजरमेंट, विंड डायरेक्शन, स्पीड और वातावरण में नमी की रिपोर्ट तैयार करता है। ये रिपोर्ट हर 15 मिनट में तैयार होती है। इसकी रिपोर्ट मौसम केंद्र के सर्वर पर अपलोड होकर वेबसाइट पर आ जाती है। इसे कोई भी व्यक्ति कहीं भी वेबसाइट पर देख सकता है।