फरवरी में गर्मी । 16 साल बाद फिर मंडराया सूखे का खतरा । किसानो को होगा नुक्सान
![February Weather](https://kisanyojana.org/wp-content/uploads/2023/02/February-Weather-min-780x470.jpg)
February Weather: इस बार फरवरी महीने में ही गर्मी शुरू हो गई है। तापमान फरवरी महीने में ही 36 डिग्री तक पहुँच गया है। लेकिन इस बढ़ते पारे ने किसानो को चिंता में दाल दिया है। क्या बढ़ता पारा आगे चलकर सूखा गिरने का संकेत दे रहा है। फरवरी में ही बैसाख जैसी गर्मी किसानो को 2007 की याद दिला रही है जब देश को सूखे ने घेर लिया था। बुलन्देलखण्ड में इससे भी बुरा हाल हो गया है। वहां के किसान इस गर्मी को देखकर चिंता में पड़ गए हैं और साथ में उनको गेहूं की फसल की भी चिंता सता रही है।
घट जायेगा उत्पादन
एक तरफ जहाँ फसलें पाक रही है और किसान इनको काटने का इन्तजार कर रहे हैं वही बढ़ती गर्मी गेहूं के उत्पादन पर भी असर डालेगी। किसानो की चिंता सही भी है क्योंकि फरवरी की इस गर्मी के कारण फसल के डेन उतने परिपक नहीं हो पाएंगे जितना उनको होना चाहिए और इस वजह से फसल का उत्पादन घाट जायेगा।
16 साल पहले किसानो के कर ली थी आत्महत्या
इस गर्मी को देख कर अब से 16 साल पहले का वो मंजर नजरों के सामने आ जाता है जब ऐसी ही गर्मी हुए थी और किसानो की फसले चौपट हो गई थी। उत्पादन इतना घट गया था की किसान अपना लोन भी नहीं चूका पाए थे। बुंदेलखंड के बुजुर्ग किसान बताते हैं की उस समय मौसम के बदलाव के कारण किसानो की सभी फसले बर्बाद हो गई थी। लेकिन किसानो को झटका तब लगा जब बारिश के मौसम में भी सूखा पड़ गया था। हालत इतने ख़राब हो गए थे की पशुओं के लिए चारा भी नहीं बचा था। फसलों के ख़राब होने की घटना को बहुत से किसान बर्दास्त नहीं कर पाए थे और आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया था। सबसे बुरा हाल उस समय हमीरपुर क्षेत्र का था।
क्या इतिहास दोहराया जायेगा
इस बार भी फरवरी में इतनी गर्मी देखकर ऐसा लगता है की इतिहास अपने आप को दोहराने वाला है। अगर पिछले साल की बात करें तो फरवरी में बारिश ज्यादा होने से तिहां फसले खराब हो गई थी। और इस साल अचानक गर्मी बढ़ गई है। ये जलवायु परिवर्तन किसानो के लिए शुभ संकेत नहीं है। इस गर्मी में फसल के उत्पादन की छमता पर बहुत गहरा असर होना तय है। ऐसे में किसानो की चिंता भी जायज है।