पशु को चॉकलेट खिलाने से बढ़ती है दूध देने की क्षमता, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली
क्या आपने सुना है की दुधारू पशु को यदि चॉकलेट खिलाने से उनकी दूध देने की क्षमता बढ़ती है। लेकिन आपको बता दे की भारतीय पशु चिकित्सा अनुसन्धान केंद्र बरेली के वैज्ञानिको ने ऐसी चॉकलेट बनाई है जिससे पशुओ के दूध देने की क्षमता में बढ़ोतरी हो जाती है
![चॉकलेट](https://kisanyojana.org/wp-content/uploads/2023/03/53-780x470.webp)
बरेली के पशु वैज्ञानिको ने एक ऐसी चॉकलेट बनाई है जिसके कारण पशुओ में दूध देने की क्षमता में इजाफा होता है। ये चॉक्लेट पशुओ में पाचन तंत्र को मजबूत करती है जिसके कारण पशुओ को भूख अधिक लगती है और इस चॉकलेट में काफी सारे पोषक तत्व होते है जो पशुओ के शरीर में पोषक तत्वों की कमी को पूर्ण करते है इसके साथ ही पशु इसको आसानी से खा भी लेते है। इस चॉकलेट की खाशियत ये है की इससे दुधारू पशु में दूध देने की क्षमता में काफी इजाफा होता है।
पशुपालक दूध बढ़ाने के लिए अलग अलग तरीके अपनाता है जिसके कारण कई बार पशुओ की तबियत ख़राब हो जाती है और उनके दूध देने की क्षमता भी कम हो जाती है और कई पशुपालक दूध उत्पादन के लिए पशु इंजेक्शन भी देते है जो की बिलकुल प्रतिबंधित है। इससे पशु के स्वास्थय पर काफी हानिकारक प्रभाव होता है। लेकिन इन सब चीजों को देखते हुए बरेली पशु चिकित्सा अनुसन्धान केंद्र की तरफ से ये चॉकलेट विकसित की गई है। जिसके कारण पशुओ में दूध देने की क्षमता में काफी अधिक फर्क पड़ता है ।
डॉक्टर का कहते है चॉकलेट के बारे में
डॉ आनंद सिंह, पशुपालन वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र-2, सीतापुर कहते हैं की ये चॉकलेट पशु को खिलाने से पशु का पाचन तंत्र काफी अच्छा होता है जिससे पशु को अधिक भूख लगती है और इस चॉकलेट में पोषक तत्व भी काफी अधिक होते है जिसके कारण पशुओ के शरीर में जो पोषक तत्व कम है उनकी पूर्ति भी हो जाती है पशु का डाइजेशन सिस्टम सही होता है और डाइजेशन सिस्टम सिस्टम सही होने से पशु को आहार को पचाने में काफी कम समय लगता है और उनके दूध उत्पादन में बढ़ोतरी होती है।
चॉकलेट बनाने के लिए क्या इस्तेमाल होता है
भारतीय चिकित्सा अनुसन्धान केंद्र बरेली के वैज्ञानिको के अनुसार उनके द्वारा बनाई गई चॉकलेट में नमक, कॉपर, जिंक , चॉकर, सरसो खल, कैल्सियम, मैग्नीशियम का उपयोग होता है जो पशुओ के शरीर के लिए लाभदायक होता है। और इसके इस्तेमाल से पशुओ का शरीर काफी लम्बे समय तक स्वास्थय रहता है और उनके दूध उत्पादन की क्षमता में बढ़ोतरी होती है
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