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अमरुद ने बनाया लखपती – खेती छोड़ लगा दिए बगीचे

जिस प्रकार से गेहू और धान की सफल में बारिश, सूखा या फिर ओलावृष्टि से बहुत भरी नुकसान होता है ठीक इसके विपरीत अमरुद की खेती है। अमरुद की खेती में इन सभी मौसमी मार का कोई भी असर नहीं होता है। और साथ में अमरुद की फसल ऐसी है जो आसानी से पैदावार देती है। हर जगह अमरुद का पौधा आसानी से लग जाता है।

Amrood Ki Kheti: किसान भाई अपने खेतों में अमरुद के पेड़ लगा लेते हैं ताकि फसल के साथ साथ ये भी बड़े हो जायेंगे और खाने के काम आएंगे। लेकिन जरा सोचिये की इन पेड़ों पर अगर इतने अमरुद लगे की आप इन्हे बेचकर अचनाक से लखपति बन जाये। तो फिर भी आप खेती करेंगे। शायद आपका जवाब भी नहीं होगा।

ऐसा ही मामला सामने आया रेवा से। रेवा के एक किसान ने अपने खेतों में कुछ पौधे लगाए थे। किसान ने सोचा था की अगर ठीक से नहीं हुए तो खाने के काम आएंगे। लेकिन किस्मत ने पलटी मारी और अमरुद इतने लगे की किसान भोचक्का रह गया। मार्किट में जब इनको बेचा गया तो उनसे जो मुनाफा आया वो अपनी परम्परागत खेती से 10 गुना ज्यादा था।

सभी खेतों को बदला बाग में

किसान व्याघ्र देव सिंह रेवा जिले के रहने वाले हैं। किसान व्याघ्र देव सिंह ने अब परम्परागत खेती को छोड़कर अपने खेतों में अमरुद के बाग लगा दिए हैं। किसान व्याघ्र देव सिंह को जब गेहूं और धान की खेती करते करते कई वर्ष बीत जाने पर भी कोई खास बचत नहीं हुई तो उन्होंने अपने एक खेत में फसल के साथ साथ अमरुद के पेड़ लगा दिए। लेकिन उस खेत ने ही किसान व्याघ्र देव सिंह को लखपति बना दिया। अमरुद की फसल बहुत अच्छी हुए और मार्किट में दाम भी सही मिले। अब किसान व्याघ्र देव सिंह ने अपने सभी खेतों को अमरुद के बाग में बदल दिया है।

परम्परागत खेती से साल के 20-30 हजार बचते थे

किसान व्याघ्र देव सिंह के अनुसार उसने सालों से परम्परागत खेती की है लेकिन कभी भी इस खेती से प्रति एकड़ 20-30 हजार से ज्यादा बचत नहीं आती थी। कभी कभी तो मौसम की मार के कारण ये भी नहीं बचते थे। बस खाने को अनाज घर में आ जाता था। जब से अमरुद की खेती की है तब से प्रति एकड़ 1 से डेढ़ लाख की बचत आसानी से हो जाती है। किसान व्याघ्र देव सिंह के अनुसार कभी कभी तो बचत का आंकड़ा इससे ऊपर भी चला जाता है।

अमरुद की खेती में नुकसान नहीं होता

जिस प्रकार से गेहू और धान की सफल में बारिश, सूखा या फिर ओलावृष्टि से बहुत भरी नुकसान होता है ठीक इसके विपरीत अमरुद की खेती है। अमरुद की खेती में इन सभी मौसमी मार का कोई भी असर नहीं होता है। और साथ में अमरुद की फसल ऐसी है जो आसानी से पैदावार देती है। हर जगह अमरुद का पौधा आसानी से लग जाता है।

किसान व्याघ्र देव सिंह के अनुसार उसने अपने खेतों में इलाहबादी सफेदा अमरूद के पेड़ लगाए हैं। इसमें फसल काफी अच्छी होती है और मुनाफा भी अधिक होता है। किसान व्याघ्र देव सिंह अपनी अमरुद की फसल कोपूरे उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के शहरों में भेजते हैं जहाँ से उन्हें काफी अच्छा रेस्पॉन्स भी मिल रहा है।

Vinod Yadav

विनोद यादव हरियाणा के रहने वाले है और इनको करीब 10 साल का न्यूज़ लेखन का अनुभव है। इन्होने लगभग सभी विषयों को कवर किया है लेकिन खेती और बिज़नेस में इनकी काफी अच्छी पकड़ है। मौजूदा समय में किसान योजना वेबसाइट के लिए अपने अनुभव को शेयर करते है। विनोद यादव से सम्पर्क करने के लिए आप कांटेक्ट वाले पेज का इस्तेमाल कर सकते है।

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