Fasal Jankari

गर्मियों में मूंगफली की खेती को बनाये कमाई का जरिया, आय होगी दुगनी

देश की अर्थववस्था कृषि पर आधारित है। गर्मी का मौसम आ चूका है गर्मी के मौसम में मूंगफली की खेती आपके लिए फायदेमंद हो सकती है। इसमें आप अच्छा मुनाफा कमा सकते है। आज के समय में उन्नत खेती का जमाना है। किसान नई नई तकनीक के आधार पर खेती करके लाखो रूपये महीना कमा रहे है। मूंगफली के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी की जरुरत नहीं होती है और रबी की फसल कट चुकी है तो आप भी नकदी फसल लेने की सोच रहे है तो आपके लिए मूंगफली की खेती काफी फायदेमंद हो सकती है।। इसमें आप अच्छा पैसा कमा सकते है मूंगफली की बुआई आप मार्च से अप्रैल के शुरुआती दिनों में कर सकते है। और गर्मियों में इसका अच्छा खासा उत्पादन आपको बढ़िया मुनाफा दिला सकता है

मूंगफली के लिए खेत की तैयारी कैसे करे

मूंगफली मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब और राजस्थान के क्षेत्रों में अधिक की जाती है। मूंगफली के लिए दोमट मिटटी काफी अच्छी मानी जाती है इसमें उत्पादन काफी अधिक होता है। 6 से 7 P.H. मान वाली भूमि इसकी खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है गर्मी के मौसम में मूंगफली का उत्पादन काफी अच्छा होता है खेत की सबसे पहले पलावा से खेत की जुताई कर दी जाती है इसके 15 दिन बाद खेत में गोबर की खाद को मिलाया जाता है फिर इसमें दोबारा से अच्छे से जुताई करनी है मिट्टी के भुरभुरा हो जाने के बाद खेत में पाटा लगाकर भूमि को समतल कर दिया जाता है मूंगफली के खेत में नीम की खली से बहुत अधिक फायदा होता है, इससे पैदावार में बढ़ोतरी होती है | इसलिए आखरी जुताई के समय एक हेक्टेयर के खेत में 400 KG नीम की खली का छिड़काव भी करना होता है |

मूंगफली के बीजो की रोपाई

मूंगफली के बीजो की बुआई समतल भूमि में मशीन के माध्यम से की जाती है है, जिसमे कम फैलाव वाली गुच्छेदार किस्म के लिए प्रत्येक पंक्ति के मध्य 30CM की दूरी और अधिक फैलाव वाली किस्म के लिए प्रत्येक पंक्ति के मध्य 45 से 50 CM की दूरी रखी जाती है | इन पंक्तियो में प्रत्येक बीज की रोपाई 15 CM की दूरी पर 6 CM की गहराई में की जाती है |

मूंगफली की उन्नत किस्में

HNG 10

ये किस्म अधिक बारिश वाले क्षेत्रों के लिए तैयार की गई है। मूंगफली की इस किस्म के पौधे 120 से 130 दिन बाद पैदावार देना शुरू कर देते है इस किस्म में तेल की मात्रा 51% तक होती है और प्रति हेक्टेयर इसकी उत्पादन क्षमता 20 से 25 किवंटल तक होती है

RG 425

इस किस्म को दुर्गा राजा के नाम से भी जानते है इस किस्म में कलर रॉट रोग के प्रति काफी अधिक प्रतिरोधक क्षमता होती है। इसकी उत्पादन क्षमता 28 से 36 किवंटल प्रति हेक्टेयर होती है। 120 दिन के बाद इसके पोधो से उत्पादन शुरू हो जाता है।

GG2

इस किस्म में पौधो का फैलाव काफी अधिक होता है इसमें फली में दो से तीन दाने होते है इसकी उत्पादन क्षमता 30 किवंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है। इसमें उत्पादन 120 दिन बाद शुरू हो जाता है।

मूंगफली के पौधो में सिंचाई

मूंगफली खरीफ फसल होने के कारण इसमें सिंचाई की प्रायः आवश्यकता नहीं पड़ती। सिंचाई देना सामान्य रूप से वर्षा के वितरण पर निर्भर करता हैं गर्मियों में आप मूंगफली की सिंचाई पांच से छह बार कर सकते है। इसके लिए मूंगफली के बीजो में अंकुरण होने के 15 दिन बाद आप पहली सिंचाई कर सकते है। इसके बाद 28 से 32, तीसरी 35 से 40, चौथी 50 से 55, पांचवी 60 से 65 एवं छठी 70 से 80 दिनों के अंतराल में करें मूंगफली की फलियों का विकास जमीन के अन्दर होता है। अतः खेत में बहुत समय तक पानी भराव रहने पर फलियों के विकास तथा उपज पर बुरा असर पड़ सकता है। अतः बुवाई के समय यदि खेत समतल न हो तो बीच-बीच में कुछ मीटर की दूरी पर हल्की नालियाँ बना देना चाहिए। जिससे वर्षा का पानी खेत में बीच में नहीं रूक पाये और अनावश्यक अतिरिक्त जल वर्षा होते ही बाहर निकल जाए।

अधिक पैदावार के लिए खाद

मूंगफली की फसल में किसान अधिक पैदावार लेने के लिए तैयार गोबर की खाद का उपयोग कर सकते है। इसके लिए प्रति हेक्टेयर 40 से 50 किवंटल तक गोबर की खाद इस्तेमाल करनी है इसके साथ NPK 20:60:20 किग्रा प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालना है वही मूंगफली में जिंक की कमी होने पर 20 से 25 किलो ग्राम तक जिंक सल्फेट का उयपोग प्रति हेक्टेयर कर सकते है

मूंगफली की खेती में रोग निवारण

पर्ण चित्ती – इस रोग के निवारण के लिए डाइथेन एम- 45 का छिड़काव करना चाहिए इसके लिए 10 दिन के अंतराल पर दो से तीन बार इसका छिड़काव करना होता है। इस रोग में मूंगफली के पत्ते ख़राब होने लगते है ये रोग जब पौधा दो से ढाई महीने का हो जाता है तब लगता है

लीफ माइनर – एमिडाक्लोरपिड की दवा का छिड़काव इस रोग में किया जाता है। पौधो की पत्तियों पर इस रोग का असर अधिक होता है। जिससे उत्पादन क्षमता घट जाती है । पत्तियों पर भूरे रंग की लाइन बन जाती है। और रंग पीला हो जाता है।

तीन महीने के अंतराल पर फसल पक कर तैयार हो जाती है

मूंगफली की फसल तीन महीने में पक कर तैयार हो जाती है। इसके बाद आप खुदाई करके इसको निकाल सकते है फसल पकने पर पौधो के पत्ते पीले हो जाते है। और पत्तिया निचे गिरने लगती है तब तुरंत इनकी कटाई आरम्भ कर देनी चाहिए फलियों को पौधों से अलग करने के पूर्व उन्हें लगभग एक सप्ताह तक अच्छी प्रकार सुखा लेना चाहिए। फलियों का भण्डारण तब करे तब उनमे नमी की मात्रा 10 प्रतिशत से कम हो जाये। अधिक नमी होने से भंडारण करने पर मूंगफली में सफ़ेद फफूंदी लगने का डर रहता है

 

 

 

Vinod Yadav

विनोद यादव हरियाणा के रहने वाले है और इनको करीब 10 साल का न्यूज़ लेखन का अनुभव है। इन्होने लगभग सभी विषयों को कवर किया है लेकिन खेती और बिज़नेस में इनकी काफी अच्छी पकड़ है। मौजूदा समय में किसान योजना वेबसाइट के लिए अपने अनुभव को शेयर करते है। विनोद यादव से सम्पर्क करने के लिए आप कांटेक्ट वाले पेज का इस्तेमाल कर सकते है।

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