Fasal Jankari

इस फसल से किसानो को होगा दोहरा फायदा , कमाई के साथ खेत होंगे उपजाऊ

आज के समय में कृषि में पारम्परिक खेती के साथ नए नए प्रयोग जरुरी है इससे किसान अपनी आमदनी बढा सकते है और किसानो का रुझान भी आज के समय में नकदी फसलों की खेती में अधिक है और नकदी फसल में मुख्य रूप से मुंग की फसल आती है और इसमें कम मेहनत में अधिक फायदा भी मिलता है और सरकार की तरफ से अब मुंग की फसल को MSP पर खरीदने की घोषणा भी जा चुकी है रबी की फसल कटाई पूर्ण हो चुकी है तो अब किसान नकदी फसल की बुआई शुरू कर सकते है मुंग की खेती करने के किसानो को दो बड़े फायदे मिलते है इसमें पहला तो फसल के दाम अच्छे मिलते है और दूसरा मुंग के पेड़ की जड़ में गांठे होती है जो भूमि की उर्वरा क्षमता को बढाती है भूमि में नाइट्रोज़न की कमी को पूर्ण करके खेत की मिटटी को उपजाऊ बनाती है इससे किसान को दौगना फायदा मिलता है

मुंग की खेती के लिए जून जुलाई का महीना अच्छा होता है इसमें आप मुंग की बुआई कर सकते है और रबी के सीजन में आप मार्च के महीने से इसकी बुआई कर सकते है मुंग की फसल सितम्बर से अक्टूबर के महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाती है

मुंग की बुआई के लिए खेत को तैयार करना

मुंग की फसल की बु। ई करने से पहले खेत को अच्छी तरह से जोतना जरुरी है इसके लिए हेरो या रिजर हल का प्रयोग कर सकते है। और दो तीन जुताई के बाद खेत की मिटटी अच्छे से भुरभुरी हो जाती है इसके बाद खेत को लेवल करना जरुरी है ताकि खेत में नमी काफी लम्बे समय तक बनी रहे इसके बाद फसल में किट और दीमक से बचने के लिए क्यूनालफास 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब डालना है जो की जुताई से पहले डालना है इसके बाद जुताई करके इसको मिला देना है

मुंग की बुआई का समय

मुंग को खरीफ और जायद दोनों ही सीजन में बोया जा सकता है इसके लिए अलग अलग समय होता है खरीफ में मुंग की बुआई का समय जुलाई के अंतिम सप्ताह तक बुआई हो जानी चाहिए

वही पर जायद में मार्च के महीने में और अप्रैल के प्रथम सप्ताह में बुआई हो जानी चाहिए मुंग के पोधो के बिच की दुरी कम से कम 10 सेंटी मीटर और कतार के बीच की दुरी 45 सेंटीमीटर होनी चाहिए

खाद की मात्रा

मुंग की खेती के लिए पांच से दस टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद डालनी उत्तम होती है इससे अच्छा उत्पादन मिलता है इसके साथ ही 20 kg नाइट्रोज़न, चालीस किलो फास्फोरस , 20 किलो पोटाश और 25 किलो गंधक एवं पांच किलो जिनक प्रति हेक्टेयर खेत में जरुरत होती है

सिंचाई

यदि खरीफ में मुंग की बुआई कर रहे है तो सिंचाई की जरुरत नहीं होती है लेकिन फूल आने के समय एक सिंचाई करनी जरुरी होती है इससे उत्पादन में बढ़ोतरी होती है अगर वर्षा कम होती है तो आपको सिंचाई करनी होती है। जायद की फसल में पहली सिंचाई बुआई के तीस दिन बाद और फिर दस से पंद्रह दिन के अंतराल पर सिंचाई होनी जरुरी है

उत्पादन

मुंग की खेती अगर सही तरीके से की जाती है तो प्रति एकड़ सात से आठ कुंतल तक की उपज हो जाती है और सिंचित फसल का उत्पादन दस से 12 किवंटल तक हो जाता है

मुंग की उन्नत किस्मे

पूसा वैसाखी – मुंग की पूसा वैसाखी किस्म 60 से 70 दिन में पक कर तैयार हो जाती है और इसमें आठ से दस कुंतल तक की उपज ली जा सकती है
पंत – इस किस्म की पकने की अवधि 70 से 75 दिन की होती है इसमें प्रति हेक्टेयर दस से बारह किवंटल तक उत्पादन लिया जा सकता है
ML 1 – मुंग की इस किस्म की फसल तैयार होने में 90 दिन का समय लेती है और इसमें प्रति हेक्टेयर आठ से दस किवंटल तक उत्पादन होता है

Vinod Yadav

विनोद यादव हरियाणा के रहने वाले है और इनको करीब 10 साल का न्यूज़ लेखन का अनुभव है। इन्होने लगभग सभी विषयों को कवर किया है लेकिन खेती और बिज़नेस में इनकी काफी अच्छी पकड़ है। मौजूदा समय में किसान योजना वेबसाइट के लिए अपने अनुभव को शेयर करते है। विनोद यादव से सम्पर्क करने के लिए आप कांटेक्ट वाले पेज का इस्तेमाल कर सकते है।

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