Fasal Jankari

इस तरीके से ले मिर्ची के खेती में बम्पर उत्पादन , और कमाए तगड़ा मुनाफा

बहुत से लोगो को मिर्ची काफी पसंद होती है सब्जी और मिर्ची नहीं होती है तो मजा नहीं आता है और किसान भाई मिर्ची की खेती करके अच्छा ख़ासा मुनाफा भी कमा सकते है मार्किट में मिर्ची की मांग हमेशा बनी रहती है और मिर्ची में दोहरा फायदा भी मिलता है एक तो मंडी में हरी मिर्ची बेच कर फायदा मिलेगा और इसके बाद मिर्ची के पकने के बाद उसके पाउडर को भी मार्किट में बेच कर अच्छा लाभ कमा सकते है वर्तमान में भारत में मिर्ची की फसल राजस्थान, तमिल नाडु , मध्य प्रदेश, उड़ीसा, कर्णाटक, आंध्र प्रदेश , पश्चिमी बंगाल, में मुख्य रूप से की जारी है देश में मिर्ची की बुआई 7,92000 हेक्टेयर पर की जा रही है जिसमे हरी मिर्च का उतपादन 77,6200 टन और लाल मिर्च का उत्पादन 40,362 टन प्रति वर्ष होता है

मिर्ची की खेती के लिए मिटटी कैसी होनी चाहिए

मिर्ची की खेती में जहा पर जल इक्क्ठा होता है वह पर नहीं हो सकती है मिर्ची की खेती के लिए मिटटी में कार्बनिक पदार्थो से भरपूर और अच्छी जल निकासी वाली होनी जरुरी है इसके साथ ही मिर्ची की खेती के लिए गर्म आद्र जलवायु अच्छी होती है

मिर्ची की प्रमुख किस्मे

मिर्ची की खेती करने के लिए उचित किस्म का चुनाव करना जरुरी है नहीं तो बाद में उत्पादन कम होने से आपकी मेहनत ख़राब हो जाएगी। आपके क्षेत्र की जलवायु के हिसाब से किस्म का चुनाव करना जरुरी होता है तभी आपको अच्छा उत्पादन मिलेगा तो आइये जानते है मिर्ची की टॉप किस्मो के बारे में

पूसा ज्वाला मिर्ची – ये किस्म कम समय में तैयार होने वाली फसल है। इसमें कम पानी की जरुरत होती है और प्रति हेक्टेयर इसकी उत्पादन क्षमता 15 से 20 किवंटल ( सुखी मिर्ची ) तक होती है

सिंदूर मिर्ची किस्म – इस किस्म की फसल को पकने में 180 दिन का समय लगता है और इसकी उपज क्षमता 13.50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है

कल्याणपुर चमन – ये संकर किस्म है और इसमें तीखापन अधिक होता है मिर्ची की लम्बाई भी काफी अधिक होती है प्रति हेक्टेयर इसका सुखी मिर्च का उत्पादन 25 से 30 किवंटल तक होता है

कल्याण 1 किस्म – इस किस्म की मिर्ची की फसल को पकने में 215 दिन तक का समय लगता है और इसकी प्रति हेक्टेयर उत्पादन क्षमता (सुखी मिर्ची )19 किवंटल तक होती है

भाग्य लक्ष्मी – ये किस्म सिंचित और असिंचित दोनों ही क्षेत्रों के लिए होती है इसमें जहा सिंचित क्षेत्र होता है वहा पर उत्पादन 18 किवंटल तक और जहा पर असिंचित क्षेत्र होता है वहा पर उत्पादन 15 किवंटल अधिकतम होता है

पंजाब लाल किस्म – ये किस्म मोजेक वायरस और कुकवार्तित वायरस के प्रति रोधक क्षमता रखती है इसमें उत्पादन क्षमता 47 किवंटल तक होती है

मिर्ची की बुआई

मिर्ची की फसल की बुआई करने से पहले इसकी पौध तैयार करनी होती है। और इसके लिए जनवरी के महीने में नर्सरी में पौध तैयार की जाती है इसके बाद इनको खेतो में लगाया जाता है नर्सरी में पौध तैयार करने के लिए हर बीज के बीच एक इंच की दुरी जरुरी है प्रति हेक्टेयर मिर्ची की बुआई के लिए 1.25 से 1.50 कि. ग्रा. बीज अधिकतम होता है

मिर्ची की रोपाई

नर्सरी में जब पौध 25 से 30 दिन के हो जाये तो ये रोपाई के लिए तैयार हो जाते है इसके बाइड इनको 60 से.मी, 45 से.मी. xX 45 से.मी. एवं 45 X 30 से. मी. की दूरी पर क्रमश: शीतकालीन एवं ग्रीष्मकालीन मौसम में रोपना चाहिए।

सिंचाई एवं खाद

मिर्ची के पौध लगाने से पहले इसमें 300 किवंटल तक गोबर या कम्पोस्ट खाद और 50 KG नाइट्रोज़न , 60 फास्फोरस की जरुरत होती है कंपोस्ट, फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा तथा नाइट्रोजन की आधी मात्रा रोपाई के पहले खेत की तैयारी के समय तथा शेष नाइट्रोजन को दो बार में क्रमश: रोपाई के 40-50 एवं 80-120 दिन बाद देनी चाहिए।
मिर्ची की खेती में सिंचाई कम मात्रा में होती है जरुरत होने पर दिसम्बर से फरवरी के महीने में सिंचाई की जा सकती है गर्मी के मौसम में दस से पंद्रह दिन के अंतराल पर इसकी सिंचाई की जा सकती है। किसानो को एक बात का खास ध्यान रखना जरुरी है की मिर्ची की फसल में खरपतवार बिलकुल नहीं होनी चाहिए इससे फसल के उत्पादन पर असर होता है और रोग लगने की अधिक सम्भावना भी होती है

Vinod Yadav

विनोद यादव हरियाणा के रहने वाले है और इनको करीब 10 साल का न्यूज़ लेखन का अनुभव है। इन्होने लगभग सभी विषयों को कवर किया है लेकिन खेती और बिज़नेस में इनकी काफी अच्छी पकड़ है। मौजूदा समय में किसान योजना वेबसाइट के लिए अपने अनुभव को शेयर करते है। विनोद यादव से सम्पर्क करने के लिए आप कांटेक्ट वाले पेज का इस्तेमाल कर सकते है।

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