Fasal Jankari

नींबू की खेती कर आप हो सकते है मालामाल ,जानिए क्या है तरीका

Lemon Farming : यह विश्व में रस के लिए जाना जाता है। दुनिया भर में अनेक खट्टे फलो का उपयोग रस बनाने में किया जाता है। नींबू के पौधे में निकलने वाले फूलो का रंग सफेद होता है ,परन्तु पूर्ण विकसित होने पर फूल का रंग पीला हो जाता है। नींबू की खेती अधिक मुनाफे वाली खेती मानी जाती है ,इससे कम खर्च में अधिक पैदावार होती है। नींबू के पौधा एक बार लगाने के बाद 10 वर्षो तक पैदावार ले सकते है। नींबू का प्रयोग सबसे अधिक खाने में किया जाता है ,इसके अलावा इसका उपयोग अचार बनाने में किया जाता है पौध लगाने के बाद इसकी देखरेख करनी होती है जिससे इसकी पैदावार प्रति वर्ष बढ़ती है।

नींबू के खेती कर किसान कम खर्च में अच्छी कमाई कर सकता है नींबू का स्वाद खट्टा होता है। इसमें विटामिन A ,B और C की मात्रा अधिक पाई जाती है गर्मियों के मौसम में बाजारों में नींबू की मांग अधिक बढ़ जाती है नींबू का पौधा झाड़ीनुमा होता है ,इसमें शाखाए कम पाई जाती है ,और शाखाओ में छोटे -छोटे काटे लगे होते है। नींबू का उत्पादन भारत में सभी प्रदेशो में किया जाता है , हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटका, गुजरात,बिहार में इसकी खेती की जाती है। व्यापारिक दृष्टि से इसकी खेती पंजाब, राजस्थान एवं उत्तरप्रदेश के तराई क्षेत्रों में की जाती है।

नींबू के फल में 42 से 49 प्रतिशत रस निकलता है। नींबू के रस का प्रयोग स्क्वैश, कोर्डियल और अम्ल बनाने में किया जाता है ,इसका रस पीने से स्फूर्ति व् ताजगी महसूस होती है।सभी विशेषताओं के कारण इसकी मांग साल में बनी रहती है। आप को बता दे की अगर आप भी नींबू की खेती करना चाहते है तो हम आप को नींबू की सम्पूर्ण जानकारी आगे बतायेगे।

कैसे करे नींबू की खेती

नींबू अन्य फलो के मुकाबले अत्यधिक खट्टा होता है ,इसका प्रयोग लोग चाय बनाने में और अचार बनाने में किया जाता है नींबू की खेती करने से पहले खेत की जुताई कर तैयार कर लेना चाहिए। उसके बाद पौध लगाने के लिए एक फीट गहरा गढ्डा खोद दे फिर उसमे पानी छोड़ दे। मिट्टी गीली होने पर उसमे पौध लगा दे फिर उसमें मिट्टी डालकर गोल क्यारी बना दे। फिर से उसमे पानी दे देते है।एक हेक्टेयर के खेत में लगभग 600 पौधे लगाए जा सकते है।
नींबू के बेज की मात्रा 208 पौधे प्रति एकड़ की घनत्व बना कर रखनी चाहिए। बीज के रोपाई के लिए जुलाई अगस्त का मौसम सबसे अच्छा होता है

नींबू की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

नींबू की खेती के लिए उपोष्ण तथा उष्ण जलवायु सर्वोच्च मानी जाती है। जहां पर कम ठण्ड कम होती है वहा पर नींबू की खेती आसानी से उगाई जाती है। नींबू का पौधा विपरीत स्थितियों में भी पनप सकता है इसलिए यह सहिष्णु प्रवृति का पौधा होता है। सर्दियों में गिरने वाला पाला इसकी खेती के लिए हानिकारक होता है
नींबू की खेती के लिए तापमान 20°C – 25°C होना चाहिए। और इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी आवश्यक है ,इसके अलावा लेटराइट ,अम्लीय क्षारीय मिट्टी में भी फसल की जा सकती है।

मिट्टी

नींबू की खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी और अच्छे जल निकास वाली मिट्टी में उपयुक्त होती है। मिट्टी का PH मान pH 5.5-7.5 होना चाहिए। इसको हल्की क्षारीय मिट्टी में भी उगाया जा सकता है। हल्की दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए अच्छी होती है।

नींबू की उन्नत किस्मे

कागजी नींबू

भारत में इस किस्म के नींबू को अधिक उगाया जाता है यह व्यापारिक रूप से उगने वाली फसल नहीं है। इसमें 52% रस की मात्रा पाई जाती है।

प्रमालिनी

इस किस्म को व्यापारिक रूप से उगाया जाता है। इस किस्म के नींबू में 57 % तक रस निकलता है। ये कागजी नींबू की अपेक्षा 30 % अधिक उत्पादन देते है। इसके नींबू गुच्छो में तैयार होते है।

विक्रम क़िस्म का नींबू

इस किस्म को अधिक पैदावार के लिए उगाया जाता है। इसके फल भी गुच्छे में प्राप्त होते है जिसके सख्या 7 से 10 होती है। इस किस्म को पंजाब में बोया जाता है जिसे पंजाबी बारहमासी के नाम से जाना जाता है

यूरेका

इनके वृक्ष अर्द्ध-मजबूत होते है इस किस्म के फल अगस्त में पकते है यह किस्म जूस में मजबूती और ताजगी होने के साथ साथ अच्छे स्वाद के होते है।

चक्रधर

यह बीज रहित पौधा होता है ,इसके पौधे घने व् सीधे होते है। पौधे रोपण के 3 से 4 साल बाद इसमें फल आना प्रारंभ होता है।

स्वीट लाईम

इसका स्वाद मीठा होता है यह पौधा सबसे अलग होता है। इसके फल गोल और रंग पीला होता है। फल हल्का ,व् पीलापन लिए होता है और छिलका चिकना होता है।

आसाम लेमन

यह पीला और आकार में गोल होता है ,इसका छिलका पतला और चिकना होता है इसके फल दिसंबर व् जनवरी में पक कर तैयार हो जाते है।

मीठा चिकना

इस किस्म के फल गोलाकार ,चिकना,चमकदार होते है ,इसके साथ ही रसदार व् इनका छिलका पतला होता है।

इसके अलावा रंगपुर लाईम , विलाफ्रांका ,लखनऊ सीडलेस ,पी के एम-1, साई शरबती किस्म भी अच्छी पैदावार के लिए उगाई जाती है।

खाद का प्रयोग

आप को बता दे की जब फसल 1-3 वर्ष की हो जाने पर,उसमे गोबर की 5-20 किलो खाद डालने चाहिए। इसके साथ 100-300 ग्राम यूरिया प्रति वृक्ष में डालना चाहिए। 4-6 वर्ष की फसल में भी गाय का गोबर 25-50 किलो और यूरिया 100-300 ग्राम डाले। 7-9 वर्ष की फसल में गाय का गोबर और 600-800 ग्राम यूरिया डालना चाहिए। जब फसल 10 वर्ष की हो जाये तो उसमे गोबर और यूरिया 800-1600 ग्राम प्रति वृक्ष में डालना चाहिए। यदि नींबू की खेती में संतुलित मात्रा में खाद और उर्वरक डाला जाये तो उसकी पैदावार अच्छी होती है।

अगर पकने से पहले फाल गिरने लगे तो ,उसको रोकने के लिए 2,4-D 10 ग्राम को 500 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करनी चाहिए।

नींबू की खेती में लगने वाले रोग व् रोगथाम के उपाय

गुंदियां रोग

इस में वृक्ष की खाल से गूंद निकलता है और प्रभावित पौधा पौधा पीला पड़ जाता है यह रोग तने पर लगता है जिससे पौधा फल के पकने से पहले ही मर जाता है। इस बीमारी को जड़ गलन रोग भी कहा जाता है। इसलिए हमे पौधे को रोग से बचाना चाहिए इसके रोकथाम के लिए मिट्टी में 0.2 % मैटालैक्सिल MZ-72 + 0.5 % ट्राइकोडरमा विराइड डालना चाहिए इससे इस बीमारी से छुटकारा मिल सकता है।

पत्तों के धब्बा रोग:

इस बीमारी से पत्तो पर सफेद राग में धब्बे होते है। जिससे पत्तो का रंग हल्का पीला तथा पत्ते मुड़ने लगते है। नए फल आने से पहले ही गिर जाते है और उपज कम होती है।,पौधे के प्रभावित भाग को नष्ट कर देना चाहिए। और उसमे कार्बेनडाज़िम की 20-22 दिनों के अंतराल पर स्प्रै करने चाहिए।

जिंक की कमी

यह बीमारी वृक्ष में सामान्य रूप से पाई जाती है इसमें फल पीला।,लम्बा और जड़ का गलना आदि समस्या होती है नींबू के पेड़ में जिंक की कमी को पूरा करने के लिए खाद का प्रयोग करना चाहिए
इसके साथ ही जिंक सल्फेट को पानी में दो चम्मच डालकर इसकी स्प्रै पत्तो पर करे।

आयरन की कमी

जब नए पत्ते हरे राग से पीले रंग में बदल जाते है तो यह रोग होने लगता है। यह कमी ज्यादा क्षारीय मिट्टी के कारण होती है। इसके उपाय के लिए इसमें गाय के गोबर की खाद का प्रयोग करना चाहिए।

काले धब्बे

यह फगस वाली बीमारी है। इस बीमारी में फलो पर काले रंग के धब्बे हो जाते है इसके पत्तो पर स्प्रै करनी चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण

खरपतवार को नियंत्रण करने के लिए फसल की निराई -गुड़ाई करनी चाहिए। और रासायनों द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। इसके साथ ही ग्लाइफोसेट 1.6 लीटर को प्रति 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रै करनी चाहिए और स्प्रै को नदिनो पर ही करे ,फसल पर नहीं करनी चाहिए।

सिचाई

नींबू की खेती के लिए नियमित अंतराल पर सिचाई करनी चाहिए ध्यान रहे की नमकीन पानी फसल के लिए हानिकारक होती है। नींबू में फूल आने पर और फल आने पर तथा पौधे के अच्छे विकास के लिए पानी की आवश्यकता होती है इसके अलावा जरूरत पडने पर सिचाई करनी चाहिए। अधिक पानी देने से जलभराव की समस्या हो सकती है ,जिससे पौधे को हानि हो सकती है।

फलो की कटाई कैसे करे ?

नींबू के पौधे पर फूल आने के पश्चात फल आते है। इसके बाद पेड़ पर लगे नींबू को तोड़ कर अलग कर देना चाहिए। नींबू के फल अलग किस्म होने पर अलग अलग महीनो में तैयार होते है। नींबू की कटाई करने के बाद उसको अच्छे से साफ कर लेना चाहिए। नींबू को छाया में सूखा देना चाहिए।

नींबू की पैदावार

एक हेक्टेयर के खेत में लगभग 600 पोधो को लगाया जाता है। उस हिसाब से किसानो को एक वर्ष में 3 लाख की कमाई होती है वैसे तो नींबू का पूर्ण विकसित पौधा 40 KG की पैदावार दे सकता है। जिससे अच्छी कमाई की जा सकती है।

Saloni Yadav

I, Saloni Yadav, have been working as a writer for the last 1 year in the field of writing news related to schemes and business. I started with NFLSpice and now I am providing my services on NFLSpice's website KisanYojana. I have been fond of writing since childhood and my interest in the field of media from the very beginning motivated me further. I hope to keep you informed about the true and correct information in the future.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *