Fasal Jankari

Jire Ki Kheti: जीरे की खेती कैसे करें | Jira Ki Kheti Kaise Karen

आर जेड-19 जीरे की एक किस्म है जिसकी खेती ज्यादातर हिस्सों में की जाती है। आर जेड-19 की पैदावार की बात करें तो प्रति एकड़ में लगभग 10 कुंतल जीरा होता है। जीरे की इस किस्म में रोग बहुत कम लगते है। आमतौर पर जीरे की फसल के रोग जैसे उखटा रोग, छाछिया रोग व झुलसा रोग इस जीरे की किस्म में जयादा देखने को नहीं मिलता।

Jire Ki Kheti Kaise Karen: जीरे का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्त्व है क्योंकि जिंदगी के हर मोड़ पर हमें जीरे की जरुरत पड़ती है। बात खाने की हो या फिर आयुर्वैदिक औषधियों की, जीरा हर जगह पर काम आता है। खाने में बिना जीरे के वो स्वाद कहाँ मिल पाटा है जो जीरे के साथ मिलता है। मसलों में तो जीरे की बहुत अधिक डिमांड रहती है। भारत जीरे का एक बहुत बड़ा निर्यातक है और हमारे किसान जीरे की खेती बहुत बड़े क्षेत्र में करते है। Jeera Ki Kheti Kab Hoti Hai

जीरे में कई तरह के खनिज और मिनरल्स मौजूद होते है जो शरीर के लिए फायदेमंद होते है। जीरे की खेती में म्हणत और लगत दोनों ही बहुत कम होती है और इसमें मुनाफा अधिक होता है इसलिए किसान भाई जीरे की खेती बहतयात मात्रा में करते है। Jeera Ki Kheti

आज के इस आर्टिकल मे आप जानेंगे की जीरे की खेती किस प्रकार से की जाती है और जीरे की खेती के दौरान किन किन बातों का ध्यान रखना होता है। साथ में आपको जीरे की खेती के फायदे क्या क्या होते है और जीरे की खेती में कौन कौन से रोग लगने की संभावना होती है तथा उनकी रोकथाम के लिए क्या क्या उपाय करने होते है। इन सबकी जानकारी आपको इस आर्टिकल में मिलने वाली है। आपसे निवेदन है की इस आर्टिकल को आखिर तक जरुरत पढ़ें। Jeera Ki Kheti Kaise Hoti Hai

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जीरा की खेती कैसे करें – Jira Ki Kheti Kaise Karen

जीरे में बहुत से तत्व मौजूद होते है जो हमारे शरीर के लिए बहुत अधिक फायदेमंद होते है। जीरे में आयरन, जिंक, कैल्शियम, कॉपर आदि बहुत से मिनरल्स पाए जाते है। जीरा मसाला होने के साथ साथ एक आयुर्वेद औषधि भी है। जीरा की खेती करने केलिए कुछ बातों का ध्यान रखना होता है जिनके बारे में हमने यहां बताया है। जीरा की खेती में इन बातों के बारे में पहले आपको जानना जरुरी होता है। Jeera Ki Kheti Kaise Ki Jati Hai

सबसे पहले जहाँ आप जीरा की खेती (Jira Ki Kheti) करने जा रहे है उस क्षेत्र की जीरे के लिए ज़रूरी जलवायु और वहां की मिटटी अनुकूल है की नहीं। इसके बाद आपको जीरा की खेती के लिए सही समय क्या होता है और उसके लिए खेत की तैयारी कैसे करते है इसके बारे में भी पता होना चाहिए। इसके बाद आपको यह भी जानना जरुरी होता है की जीरा की खेती  (Jira Ki Kheti) करने के बाद उसमे कौन कौन से रोग लगते है और उनकी रोकथाम कैसे करेंगे। तो इन सब बातों के बारे में चलिए एक एक करके जानते है। Jeera Ki Kheti Rajasthan

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जीरा की उन्नत किस्मे कौन कौन सी है? – Which are the improved varieties of cumin?

  • आर जेड-19 – जीरे की किस्म
  • आर जेड- 209 – जीरे की किस्म
  • जी सी- 4 – जीरे की किस्म
  • आर जेड- 223 – जीरे की किस्म
  • सीजेडसी 94 – जीरे की किस्म

आर जेड-19

आर जेड-19 जीरे की एक किस्म है जिसकी खेती ज्यादातर हिस्सों में की जाती है। आर जेड-19 की पैदावार की बात करें तो प्रति एकड़ में लगभग 10 कुंतल जीरा होता है। जीरे की इस किस्म में रोग बहुत कम लगते है। आमतौर पर जीरे की फसल के रोग जैसे उखटा रोग, छाछिया रोग व झुलसा रोग इस जीरे की किस्म में जयादा देखने को नहीं मिलता। Jeera Ki Kheti Kab Ki Jati Hai

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आर जेड- 209

आर जेड- 209 भी जीरे की उन्नत किस्म है। इसकी पैदावार प्रति एकड़ 8 से 9 कुंतल तक रहती है लेकिन बाकि किस्मो के मुकाबले इसके दाने मोटे होते हैं। इस जीरे की किस्म की खेती लगभग 4 महीने का समय लेती है। Jeera Ki Kheti Kaise Ki Jaaye

जी सी- 4

जी सी- 4 जीरे की किस्म है जिसमे प्रति एकड़ अगर हम पैदावार की बात करें तो ये आर जेड- 209 और आर जेड-19 से कम पैदावार देती है। ये प्रति एकड़ में लगभग 7 कुंतल तक की पैदावार देती है। लेकिन आर जेड- 209 की तरह ही इसके दाने भी मोटे होते है। Jeera Ki Kheti Kaise Ki Jaati Hai

आर जेड- 223

आर जेड- 223 जीरे की किस्म की khati में भी रोग बहुत कम लगते है लेकिन पैदावार के मामले में ये निराश करती है। इस किस्म से एक एकड़ में लगभग 6 से 7 कुंतल तक की पैदावार ली जा सकती है। Jeera Ki Kheti Kab Aur Kaise Karen

सीजेडसी 94

सीजेडसी 94 जीरे की किस्म में बाकि किस्मो के मुकाबले सबसे कम रोग लगते है। इसके साथ ही ये किस्म सबसे जल्दी पक कर तैयार होने वाली जीरे की किस्म है। इस किस्म की फसल को तैयार होने में लगभग 3 महीने का समय लगता है और प्रति एकड़ में इस किस्म से लगभग 8 कुंतल तक की पैदावार आराम से ली जा सकती है। Jeera Ki Kheti Ki Jankari

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जीरे की फसल के लिए खेत की तैयारी कैसे करें? – Jeera ki kheti kab hoti hai

जीरे की फसल  (Jira Ki Kheti) के लिए खेत में पहले गोबर की खाद डालकर छोड़ देना चाहिए। खाद डालने के करीब 10 दिन बार खेत को दो बार जुताई करें। यदि आपकी जमीन में कीड़ों की समस्या है तो जीरे को बुवाई से पहले ही जमीन में क्विनालफॉस की प्रति एकड़ 25 किलोग्राम की मात्रा का छिड़काव करके जुताई कर देनी चाहिए। इससे खेत में कीड़ों की समस्या ख़त्म हो जाएगी।

इसके बाद खेत की अच्छे से जुताई करके उसको समतल कर दें। समतल करते समय ये ध्यान रखना है की खेत में पानी की निकासी का प्रबंध अच्छे से हो क्योंकि अगर पानी का भराव खेत में होगा तो जीरे की फसल के लिए नुकसानदायक रहेगा। साथ में अगर आप चाहे तो खेत की जुताई से पहले इसमें पोटाश, नाइट्रोजन और फास्फोरस का छिड़काव भी कर सकते है। ये आपको प्रति एकड़ में 30 किलो नाइट्रोजन, 20 – 20 किलो पोटाश और फास्फोरस की मात्रा में लेकर इसको मिक्स करना है और फिर इसका छिड़काव करके जुताई करनी है। इसके बाद आपका खेत जीरे की खेती के लिए पूरी तरह से तैयार हो जायेगा। Jeera Ki Kheti Kaise Kiya Jata Hai

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जीरे की खेती के लिए बीजों का उपचार और बुवाई कैसे करें? – Jeera ki kheti kaise hoti hai

जीरे की खेती  (Jira Ki Kheti) के लिए बीज को पहले उपचारित जरूर करना चाहिए। बीजों को उपचारित करने के लिए आप कार्बेन्डिजम 50 % डब्ल्यू पी 2 ग्राम प्रति कईलोगतराम के हिसाब से इस्तेमाल करें। इससे जमीनी कीड़ों का प्रभाव आपकी जीरा की फसल पर नहीं पड़ेगा। अधिक मात्रा में दवाई का प्रयोग नहीं करना पड़ेगा क्योंकि एक एकड़ जीरे की खेती के लिए 3 से 4 किलोग्राम बीज पर्याप्त रहते है। Jeera Ki Kheti Kaise Hoti Hai

उपचारित बीजों को आपको खेत में बुवाई करनी है। इसके लिए आपको कल्टीवेटर मशीन का इस्तेमाल करना है और ध्यान रहे की नाली से नाली की दुरी कम से कम 25 से 30 सेंटीमीटर जरुरत रखें नहीं तो बाद में आपको पानी देने में और जीरे की खेती में खरपतवार निकालने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

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जीरे की खेती में सिंचाई कैसे करें? – Jeera ki kheti kaise ki jaaye

जीरे की खेती  (Jira Ki Kheti)  में पहली सिंचाई बिजाई के तुरंत बाद करनी चाहिए जिससे बीजों को अंकुरित होने में मदद मिलेगी। इसके बाद दूसरी सिंचाई बिजाई के 8 दिन बाद करनी चाहिए। इस दौरान बीज अंकुरित होकर बहार आ जाते हैं। इसके बाद जब जब आपको लगे की खेत में नहीं जा रही है तब तब जीरे की फसल की सिंचाई करते रहें।

खुला पानी जो नालियों के द्वारा दिया जारा है उसके मुकाबले में अगर फव्वारा विधि से जीरे की फसल में सिंचाई की जाए तो आपको बेहतर नतीजे मिलेंगे। फव्वारा विधि से सिंचाई करने पर पौधे जल्दी विकसित होते हैं और फैलाव भी अधिक होता है। जब जीरे की फसल को बोये 30 से 35 दिन हो जाए तब फसल में सिचाईं के वक्त 30 किलो नाइट्रोजन प्रति एकड़ के हिसाब से मात्रा पानी के साथ फसल में जरूर देनी चाहिए।

जीरे की फसल की कटाई कब करें? – Jeera ki kheti kab ki jati hai

जीरे की फसल  (Jira Ki Kheti) जब तैयार हो जाए तो उसको कटाई करने का समय हो जाता है। जीरे की कटाई जीरा सूखने से पहले ही कर लेनी चाहिए जिससे उसके झड़ने का खतरा नहीं रहता है। जीरे को काटकर एक जगह पर साफ जमीन में तिरपाल आदि बिछा कर रखना चाहिए। कटाई के कुछ दिन बाद जब कटी हुई जीरे की फसल सूख जाये तो उसकी थ्रेसिंग करवानी होती है।

जीरे की फसल में कितना मुनाफा होता है? – Jeera ki kheti ki jankari

जीरे की फसल  (Jira Ki Kheti) में वैसे तो ज्यादा रोग नहीं लगते। अगर बारिश या ओलावृश्टि ना हो तो जीरे की खेती में प्रति एकड़ के हिसाब से 7 से 10 कुंतल जीरा आसानी से हो जाता है। अगर जीरे की खेती में खर्चे की बात करें तो बीज, जुताई और खाद आदि को मिलकर लगभग 40 हजार का खर्चा हो जाता है।

जीरे को मार्किट में बेचने पर लगभग 220 रूपए किलो का भाव मिलता है। इस हिसाब से आपके एक एकड़ में मन लीजिये अगर 8 कुंतल जीरे की फसल पैदा होती है तो इसकी मार्किट में वैल्यू 176000 होती है। इसमें से अगर आपका खर्चा निकल दिया जाए तो लगभग में आपको एक या सवा लाख का शुद्ध मुनाफा होता है।

Priyanshi Rao

Name is Priyanshi and job is to pen. By the way, nowadays the keyboard button has replaced the pen and now the pen has the same address. I have a penchant for writing, that's why apart from plans, business, I have more grip on farming and I write articles on these. Started from here but off to a good start. The happiness you get after seeing the right information. hope to continue

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