Fasal Jankari

तम्बाकू की उन्नत खेती करने का तरीका , रोग, उपचार, कटाई, की पूर्ण जानकारी ले

तंबाकू की खेती एक ऐसी खेती हैं जो कम खर्च में की जा सकती है। तंबाकू की फसल एक ऐसी फसल है जिसे पूरी दुनिया में नशीले पदार्थ की खेती के नाम से भी जाना जाता है। इस तंबाकू को सुखाकर धुहे से नई चीजें बनाई जाती है। जिनका उपयोग लोग नशा करने के लिए करते हैं। इस तंबाकू की फसल से प्राप्त होने वाले तंबाकू से बीड़ी, सिगरेट,  गांजा, सिंगार, पान मसाला और जर्दा इत्यादि प्रकार की चीजों को बनाया जाता है। इस तंबाकू का सेवन हमारे मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। फिर भी लोग इसे बड़ी खुशी के साथ उपयोग में लेते हैं। तंबाकू को धीमी जहर के नाम से भी जाना जाता है। पहले की अपेक्षा वर्तमान में तंबाकू का उपयोग हद से ज्यादा होने लगा है, इस तंबाकू के कारण दुनिया में कई घर उजड़ चुके हैं और कई घर की महिलाएं विधवा  हो चुकी हैं।

 

Note:— हम इस आर्टिकल में किसी भी नशीले पदार्थ के सेवन को बढ़ावा नहीं देते हैं, हम सिर्फ तंबाकू की खेती की जानकारी दे रहे हैं।

आज की इस पोस्ट में हम तंबाकू की खेती के संदर्भ में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे जैसे कि-

तंबाकू की खेती के लिए खेत की तैयारी किस तरह से करें?,तंबाकू की खेती के लिए उन्नत किस्में कौन सी है?,तंबाकू की खेती के लिए उपयुक्त मौसम एवं जलवायु कैसी होनी चाहिए?,तंबाकू की खेती के लिए बीज को किस प्रकार से तैयार करें?,तंबाकू की खेती में बीजों की बुवाई किस प्रकार से की जानी चाहिए?,तंबाकू की खेती में सिंचाई का कार्य कैसे करें?,तंबाकू की खेती में खाद किस मात्रा में डालें?,तंबाकू की खेती में उर्वरक और खरपतवार पर नियंत्रण कैसे करें?,तंबाकू की खेती में होने वाले रोग एवं उनके रोकथाम के उपाय क्या हैं?,तंबाकू की खेती में फसल की कटाई किस प्रकार से करें?,तंबाकू की खेती में कटाई होने के बाद तंबाकू को तैयारी किस तरह से करें?,तंबाकू की फसल का इतिहास क्या है? और तंबाकू की फसल भारत के अंदर सबसे ज्यादा कौन से राज्य में की जाती हैं?, इसी के साथ हम यह भी जानेंगे कि क्या तंबाकू की खेती करना कानूनी रूप से सही है?, इन सभी चीजों के बारे में हम आज कि इस पोस्ट में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने वाले हैं । ।

तंबाकू की खेती के लिए खेत की तैयारी (Tambaku Ki Kheti Ke Liye Khet Ki Taiyari)

तंबाकू की खेती के लिए सबसे पहले खेत को अच्छी प्रकार से जोत लेना है। जुताई लगभग दो से तीन बार करनी है। जूताई होने के बाद कुछ दिनों तक खेत को ऐसे ही खुला रखें और खेत को कुछ दिनों तक सूखने दें। खेत को कुछ दिन सुखाने के बाद खेत के अंदर सड़ी हुई गोबर का खाद उचित मात्रा में डालकर गोबर की खाद को मिट्टी में अच्छी प्रकार से मिला लेना है। मिला लेने के बाद खेत के अंदर पहली सिंचाई कर देनी है। इसके बाद जब खेत की मिट्टी हल्की-हल्की सूख जाए और ऊपर की मिट्टी में थोड़ी नमी आ जाए तो एक बार फिर से खेत में कल्टीवेटर के द्वारा जुताई करवा देनी है। इसके बाद आपका खेत तंबाकू की खेती के लिए पूर्ण रूप से तैयार हो जाएगा।

तंबाकू की खेती के लिए उन्नत किस्में

  1. निकोटिना टुवैकम किस्म:- यह किस्म तंबाकू के अंदर सर्वाधिक मात्रा में पाई जाती हैं। इस किस्म के अंतर्गत जो पौधे उगते हैं, सामान्य किस्म के पौधे की अपेक्षा लंबे होते हैं और इस किस्म के पौधे की पत्तियां सामान्य पौधे की पत्तियों की अपेक्षा बड़ी होती है। इस किस्म के अंतर्गत जो पौधे उगते हैं उनके फूलों का रंग भी गुलाबी होता है। इस किस्म के पौधे के अंतर्गत उपज भी सही मात्रा में प्राप्त होती हैं। इस किस्म से जो पौधा बनकर तैयार होता है, उसका उपयोग सिगरेट,हुक्का,सिंगार और बीड़ी आदि बनाने में उपयोग किया जाता ।है इसके अलावा इसमें एमपी 220,टाइप 23,टाइप49,पटुवा,मोतीहारी,फर्रुखाबाद लोकल,कलकतिया,एनपीएस 219,पीएन 28,धनादयी,जीएसएच 3,सीटीआरआई स्पेशल,सी 302,लकडा,कनकप्रभा,चैथन,एनपीएस 2116,जीएसएच 3,वर्जिनिया गोल्ड और जैश्री जैसी किस्में पाई जाती है।
  2. निकोटीन रस्टिका किस्म:- निकोटिन रसिका किस्म तंबाकू की फसल की दूसरी मुख्य किसमें है। यह किस्म तंबाकू माह में सबसे ज्यादा सुगंध वाली होती हैं। इस किस्म के पौधे की पत्तियां भारी एवं रुखी होती है और इस किस्म के पौधे की लंबाई भी कम होती हैं। तंबाकू की इस किस्म का प्रयोग सूघने एवं खाने के लिए किया जाता है। हुक्के के अंदर भी इसी किस्म का उपयोग किया जाता है। यह किस्म ठंड के मौसम में बोई जाने वाली किस्म है। इस किस्म के अतिरिक्त अन्य किस्म जैसे- हरी बंडी, गंडक बहार सुमित्रा पीटी 76,एनपी 35,पीएन 70, रंगपुर,प्रभात,भाग्यलक्ष्मी,कोइनी,सोना,ह्यइट वर्ले,डीजी 3 इत्यादि प्रकार की इसमें इसके अंदर शामिल है।
  3. एआरआर-27 ‘रवि:- तंबाकू के अंदर यह नई किस्में हैं। इस किस्म की बुवाई की शुरुआत कानपुर नगर के अरोल में हुई है। इस फसल को बोने से किसानों के बीच इस फसल का अच्छा परिणाम देखने को भी मिला है। यह किस्म ज्यादातर हुक्के के लिए इस्तेमाल की जाती है। इस किस्म की पंक्तियों का आकार भी बड़ा होता है एवं इस किस्म की फसल में उत्पादन भी सर्वाधिक मात्रा में होता है। इस किस्म के अंदर प्रति हेक्टर की दर से 34 कुंटल तंबाकू का उत्पादन लगभग प्राप्त हो जाता है।

तंबाकू की खेती के लिए उपयुक्त मौसम एवं जलवायु

तंबाकू की खेती शीत ऋतु में होने वाली खेती है। इस खेती के लिए ठंडा मौसम एवं शुष्क जलवायु उपयुक्त मानी जाती हैं। तंबाकू के लिए 100 सेंटीमीटर की वर्षा पर्याप्त मानी जाती है। यह एक ठंड के मौसम में बोई जाने वाली फसल है, इसलिए इसमें सिंचाई का कार्य आवश्यकता अनुसार ही किया जाता है। तंबाकू की खेती के लिए लाल दोमट मिट्टी एवं हल्की बुरी मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। और इसके साथ ही खेत इस तरह से होना चाहिए कि उसमें सिंचाई करते ही पानी की निकासी आसानी से हो जाए। तंबाकू की खेती में तंबाकू के भूमि का पीएच मान लगभग 7 से 8 के मध्य होना चाहिए। इसकी खेती में खास बात यह है कि पौधे को बड़ा होने के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है और पौधे को पकने के लिए अत्यधिक मात्रा में धूप की आवश्यकता होती है। तंबाकू की खेती अगर किसी समुद्री इलाकों के पास की जा रही है तो इस बात का विशेष ध्यान रहे कि समुद्र से खेत की ऊंचाई लगभग 1800 मीटर होनी चाहिए तभी आप तंबाकू की खेती को पर्याप्त मात्रा में कर पाएंगे। तंबाकू की खेती में अगर खेत जलभराव वाले होंगे तो तंबाकू के पौधे खराब हो जाएंगे एवं वह ठीक से अंकुरित नहीं हो पाएंगे जिससे किसान को अत्यधिक मात्रा में नुकसान पहुंचेगा।

तंबाकू की खेती करने के लिए बीज की तैयारी

तंबाकू की खेती में अन्य फसल की तरह बीजों को सीधे तरीके से नहीं बोया जाता बल्कि तंबाकू के बीजों को सबसे पहले नर्सरी में तैयार किया जाता है। उसके बाद ही इन्हें बोया जाता है। तंबाकू के पौधे लगाने के लगभग 2 महीने पहले ही पौधों को नर्सरी में तैयार कर लेना है, क्योंकि इसके बाद ही आप इसे खेत में लगा सकते हैं। सबसे पहले नर्सरी में बीजों को तैयार करने के लिए कि क्यारियों का निर्माण कर दें। क्यारियां लगभग 5 मीटर लंबी होनी चाहिए और लंबी होने के साथ-साथ क्यारियों के अंदर अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर का खाद डाल देना है। गोबर का खाद डाल देने के बाद तंबाकू के बीजों को उनकी क्यारियों में छिड़क देना है और बीजों को अच्छी तरह से उनमें मिला देना है। अब क्यारियों में आवश्यकता अनुसार पानी डाल देना है और पानी डालने के बाद क्यारियों में बीजों को अच्छे प्रकार से किसी वस्तु से ढक देना है। इसके बाद जब बीज अंकुरित हो जाए तो जिस चीज से बीजों को ढका गया है उसे हटा लेना है।

क्या तंबाकू की खेती करना कानूनी रूप से सही है?

भारत देश के अंदर तंबाकू की खेती करने के लिए पहले लाइसेंस बनवाना पड़ता है और सरकार से परमिशन लेने पर आपको इसकी खेती के लिए अलग से नापतोल कर भूमि दी जाती है। जिस पर आप तंबाकू की खेती कर सकते हैं। ध्यान रहे यदि आप सरकार द्वारा दी गई जमीन से ज्यादा खेती करते हैं, तो आपको सजा हो सकती है।

इसलिए यदि आप तंबाकू की खेती करते हैं, तो आपको सरकार द्वारा जो जमीन दी गई है। उसी में खेती करें लोभ की लालच में आपको इसे छुप छुप कर नहीं करनी है

तंबाकू की खेती में बीजों की बुवाई करना

तंबाकू की फसल की बुवाई उसकी किस्म के अनुसार की जाती हैं। अगर तंबाकू को सुघने वाले किसानों के लिये बोया जा रहा है, तो दिसंबर के प्रथम सप्ताह में इस किस्म को बो देना चाहिए और अगर सिंगार,सिगरेट बनाने वाली किस्मों को बोया जा रहा है। तो ऐसी किस्म को अक्टूबर एवं दिसंबर के मध्य में बो देना चाहिए। तंबाकू की फसल को हम मैदानी भागों एवं सभी प्रकार के भागों में लगा सकते हैं। तंबाकू की फसल को क्यारिया बनाकर और मेड बनाकर दोनों ही प्रकार से किया जा सकता है। अगर हम तंबाकू की बुवाई कायारियां या समतल जगह पर करते हैं तो प्रत्येक पौधे के बीच में 2 से ढाई फीट की दूरी होनी आवश्यक है और अगर तंबाकू के पौधे की बुवाई समतल भूमि पर ना करके मेड पर की जा रही है तो उसमें भी लगभग 2 फीट की दूरी होना आवश्यक है। मेड़ों के बीच की दूरी लगभग 1 मीटर की होनी चाहिए तभी पौधे सही मात्रा में अंकुरित हो पाते हैं। और पौधे की बुवाई में ध्यान देने योग्य बात यह है कि बीजों की गहराई लगभग 3 से 4 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए। समतल और मेडो में की जा रही बीजों की बुवाई की गहराई दोनों में समान है। बीजों की बुवाई हमेशा शाम के समय करनी चाहिए इससे बीज सही मात्रा में विकसित हो पाते हैं और उत्पादन में वृद्धि होती है।

तंबाकू की खेती में सिंचाई का कार्य

तंबाकू की खेती में सिंचाई का ध्यान अच्छे से रखना चाहिए। जैसे ही तंबाकू के बीजों की बुवाई की जाती है, ठीक उसी के बाद खेत के अंदर पहली सिंचाई कर देनी है और तंबाकू के खेत में पहली सिंचाई करने के लगभग 18 से 20 दिन बाद फिर सिंचाई कर देनी है। तंबाकू के खेत में लगभग 20 दिन के अंतराल में सिंचाई होती ही रहनी चाहिए तभी पौधा पर्याप्त मात्रा में अंकुरित हो पाता है। जब फसल पक्कर तैयार हो जाती है तो फसल के पकने के लगभग 20 दिन पहले ही सिंचाई का कार्य बंद कर देना है इससे पौधे में जो बीज है वह वजनीय एवं कठोर होते हैं।

तंबाकू की खेती में खाद और उवर्रक का उपयोग करना

तंबाकू की खेती करने के लिए जब तंबाकू की पहली जुताई की जाती है तो उसी के बाद सड़ी हुई गोबर की खाद को प्रति हेक्टर के हिसाब से खेत में डाल देना है और खाद को मिट्टी में अच्छी तरह से मिला लेना है। और अगर आप सड़ी हुई गोबर के खाद का उपयोग नहीं कर रहे हैं, एवं आप रासायनिक खाद का उपयोग करना चाहते हैं तो खेत के अंदर फॉस्फेट 150 किलो,नाइट्रोजन 80,पोटाश 45 किलो और कैल्शियम 86 किलो को प्रति हेक्टर के हिसाब से खेत में छिड़क देना है। परंतु यह छिड़काव खेत की आखिरी जुताई के बाद ही करना है।

तंबाकू की खेती में निराई गुड़ाई का कार्य एवं खरपतवारों को नष्ट करना

तंबाकू की खेती में भी तंबाकू के पौधे के अलावा कई प्रकार के अनावश्यक पौधे उगते हैं। जो पौधे की विकसित होने की गति को अवरुद्ध करते हैं एवं उन्हें सही प्रकार से अंकुरित नहीं होने देते इसलिए तंबाकू की खेती में निराई गुड़ाई का कार्य करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। बीजों की बुवाई के 25 से 30 दिन बाद जैसे ही  पौधो पर खतपतवार दिखने लग जाए तो पहली निराई गुड़ाई कर लेनी है एवं पहली निराई गुड़ाई के 20 से 25 दिन के अंतराल में दूसरी निराई गुड़ाई का कार्य भी कर लेना है। यह बात तो सभी जानते हैं कि तंबाकू की खेती तंबाकू एवं बीज प्राप्त करने के लिए की जाती हैं इसलिए इसकी खेती में सभी प्रकार के कार्यों का ध्यान रखना एक आवश्यक काम है। तंबाकू की खेती अगर बीजों के लिए की जा रही है तो पौधे के ऊपर आने वाली फूलों की कलियों को नहीं तोड़ना चाहिए और अगर तंबाकू की खेती बीजों के लिए ना करके तंबाकू के ही लिए कि गई है, तो पौधे पर आने वाली फूलों की कलियों को तोड़ लेना चाहिए इससे तंबाकू सर्वाधिक मात्रा में उत्पन्न होता है।

तंबाकू की खेती में होने वाले रोग एवं उनके रोकथाम के उपाय

तना छेदक कीट रोग:- तना छेदक कीट रोग पौधे के अंदर लग जाने से पौधा मुरझा जाता है। और इसके साथ पौधे की पत्तियां पीले रंग की हो जाती हैं यह रोग पौधे के अंदर तने के ऊपर लार्वा के रूप में लगता है इस रोग में जो कीड़ा होता है वह कीट पौधे को अंदर से पूरी तरह से खोखला बना देता है। इस रोग के कारण पौधा बहुत जल्द ही सूख जाता है और धीरे-धीरे पूरी फसल नष्ट हो जाती हैं।

रोकथाम इस रोग को रोकने के लिए कार्बेनिल अथवा प्रोफेनोफॉस दवा का फोटो के ऊपर उचित मात्रा में आवश्यकता अनुसार छिड़काव कर देना है।

सुंडी रोग:- सुंडी रोग अफीम की फसल में गिटार और इल्ली के नाम से भी जाना जाता है। इस रोग के अंतर्गत जो कीट पाए जाते हैं वह कीट अफीम फसल को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाने लगते हैं। इससे फसल में पैदावार काफी कम मात्रा में होती हैं। इस रोग के अंतर्गत जो कीट पाए जाते हैं, वह लगभग 1 सेंटीमीटर लंबे होते हैं। यह रोग फसल में कई प्रकार के रंगों में देखने को मिलता है जैसे हरा, काला और लाल इत्यादि।

पर्ण चिट्ठी रोग:- पर्ण चिट्ठी रोग अफीम की फसल में तब देखने को मिलता है जब कड़ाके की सर्दी पड़ रही हो, सर्दी ऋतु के अंदर शीत लहर और तेज ठंडी हवाई चल रही हो। इस रोग के लगने से धीरे-धीरे पौधे की पत्तियां पीले रंग की हो जाती हैं और फिर कुछ समय बाद पौधे की पत्तियों में छेद होने लगते हैं। जिससे फसल की उपज में भारी मात्रा में नुकसान हो सकता है।

रोकथाम इस रोग से तंबाकू की फसल को बचाने के लिए बेनोमिल 50 W.P. की उचित मात्रा को अफीम की फसल के अंदर छिड़क देना है।

ठोकरा परपोषी किस्म का रोग:- इस रोग के कारण तंबाकू के पौधों का विकास अवरुद्ध हो जाता है। ठोकरा परपोषी किस्म का रोग एक प्रकार से खरपतवारी रोग हैं। जिसके कारण से फसल को अत्यधिक मात्रा में नुकसान होता है। इस रोग के अंदर एक पौधा होता है, जो दिखने में सफेद रंग का होता है और इस फोन के अंदर नीले रंग के फूल भी दिखाई देते हैं।

रोकथाम खेत के अंदर इस तरह का रोग दिखाई देने पर खेत की निराई गुड़ाई का कार्य करके इन पौधों को खेत से बाहर फेंक देना है।

तंबाकू की फसल की कटाई करना

तंबाकू की खेती में कटाई का कार्य करने पर अत्यधिक जोर दिया जाता है, क्योंकि कटाई सही करने पर ही उत्पादन अधिक मात्रा में निकल पाता है। तंबाकू की फसल लगभग बुवाई के 120 से 130 दिन बाद पक्कर कटने के लिए तैयार हो जाती हैं। तंबाकू के पौधे की कटाई हर प्रकार से की जा सकती है। तंबाकू की कटाई तब शुरू करनी चाहिए जब तंबाकू के पौधे की नीचे की पत्तियां सूखकर कठोर होने लग जाए । जब तंबाकू के पौधे की पत्तियां सूख कर कठोर हो जाएं तब तंबाकू को पौधे को नीचे जड़ के पास से काट ले। तंबाकू के पौधों का उपयोग सूंघने एवं खाने के लिए किया जाता है इसी के साथ तंबाकू के पौधों का उपयोग बीड़ी,सिगरेट,हुक्का और सिंगार में किया जाता है तंबाकू के डेंटल का उपयोग इन चीजों को बनाने के साथ किया जाता है।

तंबाकू की खेती में कटाई के बाद तंबाकू की तैयारी

तंबाकू के कटने के बाद तंबाकू को तैयार करना पड़ता है और तैयार करने के लिए सबसे पहले तंबाकू को सढ़ाया और गलाया जाता है। तंबाकू को सढ़ाने और गलाने के लिए सबसे पहले तंबाकू को काट लिया जाता है। और उसे काटकर 3 से 4 दिन के लिए सुखाया जाता है।

इन 3 से 4 दिनों के अंदर रोजाना तंबाकू को उलट पलट करते रहना चाहिए। तंबाकू को सुखा देने के बाद तंबाकू की पत्तियों को इकट्ठा करके किसी वस्तु से ढक देना है। और इस तंबाकू की पत्तियों को उस वस्तु के साथ मिट्टी में दबा देना है। कुछ दिनों बाद फिर उन पतियों को बाहर निकाल लेना है, इसके कारण तंबाकू की गुणवत्ता में वृद्धि होती है। इस प्रकार से आपका तंबाकू तैयार हो जाएगा।

तंबाकू की फसल का इतिहास

तंबाकू का सबसे ज्यादा उत्पादन विश्व में चीन करता है। और भारत देश के अंदर सबसे ज्यादा तंबाकू का उत्पादन आंध्र प्रदेश राज्य के अंदर किया जाता है। उसके बाद तंबाकू के उत्पादन में प्रमुख स्थान रखने वाले राज्य कर्नाटक और तेलंगाना है। तंबाकू में निकोटियाना के साथ-साथ प्रकार के विषैले पदार्थ पाए जाते हैं। तंबाकू को मीठा जहर भी कहा जाता है। क्योंकि हमारे शरीर को धीरे-धीरे खोखला कर देता है। भारत के अंदर तंबाकू को लाने का श्रेय पुर्तगालियों को दिया जाता है। जहांगीर के समय में पुर्तगालियों के द्वारा तंबाकू को बड़े पैमाने पर उगाया गया था। तंबाकू की सर्वप्रथम खोज मेसोअमेरिका और दक्षिण अमेरिका के मूल निवासियों द्वारा की गई थी और फिर बाद में यूरोप एवं शेष विश्व में इसकी शुरुआत हुई। पुरातत्व खोजो ने यह साबित कर दिया है कि अमेरिका के निवासियों ने 12300 साल पहले ही तंबाकू का उपयोग करना शुरू कर दिया था। पूरे विश्व में चीन प्रति वर्ष 2,806,770 टन तंबाकू का उत्पादन करता है। भारत में तंबाकू के उत्पादन में विश्व में दूसरा स्थान रखता है भारत के अंदर 761,318 टन तंबाकू का उत्पादन लगभग प्रतिवर्ष कर लिया जाता है। भारत के अंदर स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक लगभग 27 करोड से ज्यादा लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। सबसे ज्यादा तंबाकू खाने वाले देशों में भारत पूरे विश्व में दूसरे स्थान पर हैं। तंबाकू के पौधे वास्तव में फल देते हैं। एक सिगरेट के अंदर लगभग 8 मिलीग्राम से 20 मिलीग्राम तक निकोटिन पाया जाता है।

Note:- तंबाकू का सेवन करना सेहत के लिए हानिकारक होता है, इससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है। इसलिए यदि आप इसकी खेती करते हैं, तो कानूनी रूप से करें।

FAQ

Q1. तंबाकू की फसल करने के लिए इसका लाइसेंस कैसे बनवाया जाता है?

Ans:- तंबाकू की फसल करने के लिए इसका लाइसेंस बनाना पड़ता है, लाइसेंस बनवाने के लिए निम्नलिखित डाक्यूमेंट्स की आवश्यकता होती हैं जैसे व्यक्ति का आधार कार्ड,वोटर आईडी,निवास प्रमाण,पत्र राशन कार्ड,पहचान पत्र,बैंक की डायरी और फोटो कॉपी इत्यादि।

Q2. भारत देश के अंदर क्या तंबाकू को बेचना गैरकानूनी है? 

Ans:- बीड़ी सिगरेट एवं तंबाकू के अन्य छोटे पैकेटो को बेचने पर भारत के अंदर किसी भी प्रकार की कोई पाबंदी नहीं है। परंतु 18 साल से कम उम्र के व्यक्तियों पर तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर पाबंदी है।

Q3. भारत के अंदर कौन सा राज्य सबसे ज्यादा तंबाकू का उत्पादन करता है?

Ans:- भारत के अंदर आंध्र प्रदेश सबसे ज्यादा तंबाकू का उत्पादन करता है। इसके बाद तंबाकू के उत्पादन में प्रमुख स्थान कर्नाटक और तेलंगाना राज्य का है।

Q4. पूरे विश्व में सबसे ज्यादा तंबाकू का उत्पादन कहां पर किया जाता है?

Ans:- पूरे विश्व में सबसे ज्यादा तंबाकू का उत्पादन चीन में होता है।

Q5. तंबाकू का वैज्ञानिक नाम क्या है?

Ans:- तंबाकू का वैज्ञानिक नाम निकोटियाना टैबैकम (Nicotiana Tabacum)” है।

Vinod Yadav

विनोद यादव हरियाणा के रहने वाले है और इनको करीब 10 साल का न्यूज़ लेखन का अनुभव है। इन्होने लगभग सभी विषयों को कवर किया है लेकिन खेती और बिज़नेस में इनकी काफी अच्छी पकड़ है। मौजूदा समय में किसान योजना वेबसाइट के लिए अपने अनुभव को शेयर करते है। विनोद यादव से सम्पर्क करने के लिए आप कांटेक्ट वाले पेज का इस्तेमाल कर सकते है।

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