मिर्च की खेती कब और कैसे करनी चाहिए ? जानिए
मिर्च की खेती की लिए 15-35 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए। अच्छी जलवायु की लिए उष्ण व् उपोष्ण जलवायु की आवश्यकता होनी चाहिए। इसकी अलाव हरी मिर्च की फसल पर पीला को प्रकोप होता है। इसके लिए ठंडी और गर्म दोनों जलवायु हानिकारक होती है। इसका पौधा लगभग 100 cm तक बढ़ सकता है। इसमें प्रतिकूल जलवायु और जल की कमी होने के कारण फल,फूल और कलिया गिर जाती है।
Chilli Cultivation: जैसा की आप जानते है कि मिर्च की खेती करना कोई बड़ी बात नहीं है। मिर्च की खेती नगदी फसल के रूप में की जाती है, मिर्च को भारत में मसालों की प्रमुख फसल मानते है। मिर्च में विटामिन ,फास्फोरस की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। मिर्च की खेती उष्ण कटिबंधीय प्रदेशो में की जाती है। भारत में मिर्ची का उत्पादन राजस्थान ,कर्नाटक, महाराष्ट ,उड़ीसा, तमिलनाडु , आन्ध्रप्रदेश आदि राज्यों में होता है मिर्च का उपयोग सब्जी मशाले ,सब्जी और अचार में किया जाता हैं। इसकी खेती में 85-90 हजार रुपए/हेक्टेयर आमदनी होती है
फसल की अवधि
पौध को बोने के 150-200 दिनों के भीतर मिर्च तैयार हो जाती है।
मिर्च की जलवायु
मिर्च की खेती की लिए 15-35 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए। अच्छी जलवायु की लिए उष्ण व् उपोष्ण जलवायु की आवश्यकता होनी चाहिए। इसकी अलाव हरी मिर्च की फसल पर पीला को प्रकोप होता है। इसके लिए ठंडी और गर्म दोनों जलवायु हानिकारक होती है। इसका पौधा लगभग 100 cm तक बढ़ सकता है। इसमें प्रतिकूल जलवायु और जल की कमी होने के कारण फल,फूल और कलिया गिर जाती है।
अनुकूलतम तापमान
मिर्च के विकास का लिए 20 से 25⁰C होना चाहिए। 37 ⁰C या इससे अधिक तापमान होने पर फसल को प्रभावित करता है इसके विपरीत वर्षा होने पर भी पौधा सड़ने लगता है।
मिर्च की किस्मे
मिर्च में अनेक प्रकार के किस्मे पाई जाती है –
मसाले की किस्मे – पूसा ज्वाला, पन्त सी- 1, एन पी- 46 ए,पंजाब लाल, आंध्र ज्योति और जहवार मिर्च- 283
अचार की किस्मे – केलिफोर्निया वंडर, चायनीज जायंट, येलो वंडर, आर्का हरित और पूसा सदाबहार आदि किस्मे है।
अन्य किस्मे – काशी अनमोल ,यूएस-611-720 ,काशी अर्ली,जवाहर मिर्च – 218 ,अर्का सुफल आदि है।
खेत की तैयारी
मिर्च की खेती के लिए अच्छी गोबर की खाद होनी चाहिए ताकि दीमक लगने का भय नहीं हो, गोबर की खाद 10 टन प्रति एकड़ के हिसाब से डालनी चाहिए। खेत की 4 -5 बार जुताई होनी चाहिए उसके बाद पट्टा लगाकर भूमि को समतल कर देना चाहिए जिससे भूमि तैयार हो जाती है।
पौध को रोपना
मिर्च को नर्सरी में तैयार किया जाता है उसके बाद पौध तैयार होती है ,पौध की रोपाई के बाद सिचाई करनी चाहिए। नर्सरी में बुआई के 4 से 6 सप्ताह के बाद पौध तैयार हो जाती है नर्सरी में बीज 1-2 सैं.मी की गहराई में बोया जाता है
सिचाई की निराई और गुड़ाई
पहली सिचाई की बात करे तो पौधरोपण के बाद करनी चाहिए। अगर गर्मी है तो 5 से 7 दिनों और सर्दी है तो 10 से 12 दिनों में फसल को सींचना चाहिए। इसके बाद फसल में फूल ,फल बनते समय सिचाई आवश्यक होती है अगर इस समय सिचाई नहीं हुई तो फूल, फूल गिर सकते है ,एक बात का अवश्य ध्यान रखे फसल में पानी का जमाव नहीं होने दे।
फसल में रोग लगना
झुलस रोग : ये एक प्रकार का मिर्च में लगने वाला रोग है ,यह रोग जमीन में सही ढंग से खेती न करने वाले प्रदेशो में मिलता है।
पत्तो पर सफेद धब्बे होना : यही बीमारी पोधो को खाने के तोर पर होती है जिससे पौधा कमजोर होने लगता है ,इस बीमारी से पत्तो पर सफेद धब्बे हो जाते है ,इसके फैलने से रोकने के लिए पानी में घुलनशील सल्फर की स्प्रे की जाती है
सफेद मक्खी का लगना : यही रोग पता मरोड़ रोग को फैलने में मदद करता है ,यह रोग पौधे के रस को चूसती है और उसे कमजोर बना देती है।
हरी मिर्च कब बोई जाती है
हम आप को बता दे की सबसे पहले फसल होली के आस पास खेतो को तैयार कर मिर्च की बुआई की जाती हैं ,एक -डेढ़ माह के अंदर मिर्च लगनी शुरू हो जाती है,जुलाई के माह में मिर्च तोड़ ली जाती है पूसा ज्वाला मिर्च अच्छी वेरायटी की होती है।
भारत की सबसे बड़ी मिर्च मंडी आंध्रप्रदेश के गुंटूर में है यह मिर्च की खरीद -बिक्री ज्यादा होती है
भारत में आंध्रप्रदेश में मिर्च का सबसे बड़ा उत्पादन होता है
खरपतवार का नियंत्रण
फसल के साथ खरपतवार उग जाते है निराई -गुड़ाई के दौरान से इसे नष्ट कर दिया जाता है दो बार हाथ से निराई गुड़ाई आवश्यक है ऐसा करने पर फसल अच्छी होती है
मिर्च की उपज
मिर्च का उत्पादन उसकी किस्म पर निर्भर करता है सूखी मिर्च की बात करे तो असंचित इलाकों में 2.4 क्विंटल प्रति एकड़ व् संचित इलाकों में 6-10 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन होता है और हरी मिर्च 30-40 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन होता है