पशुओं में आ रही है बीमारी, गाय भैंस की हो रही है अकाल मौत, पशुपालक इन बातो का रखे ध्यान
मई जून के महीने में पशुपालक को पशु का अधिक ध्यान रखने की जरूरत होती है। पशुओ में छूतदार रोग फ़ैल रहा है। इस रोग में पशु को तेज बुखार हो जाता है और साँस लेने में तकलीफ होने लगती है। और साँस नहीं आने से पशु की मौत तक हो जाती है। पशुपालक को पशु को इस बीमारी से बचाने के लिए कुछ बातो का ध्यान रखना जरुरी है।
गर्मी और बारिश के मौसम में पशुओ में गलघोटू नामक रोग होने की आशंका काफी अधिक हो जाती है। और इस बीमारी में पशु को साँस लेने में तकलीफ होने लगती है और कई बार साँस नहीं आने से पशु की मौत तक हो जाती है । ये एक छूतदार बीमारी है और ये एक पशु से दूसरे पशु में बहुत तेजी के साथ फैलती है। पशु के रहने के साथ पर यदि साफ सफाई का ध्यान नहीं रखा जाता है तो पशु इस रोग की चपेट में आ सकता है। इस रोग के जीवाणु काफी तेजी से पशुओ में फैलते है।
रोग एक लक्षण
ये एक संक्रामक रोग है और ये एक पशु से दूसरे पशु में तुरंत फैलता है। इस रोग में पशु को तेज बुखार हो जाता है और आँख नाक गले में सूजन आ जाती है जिसके कारण पशु को साँस लेने में दिक्कत होती है। साँस लेते समय गले में घुर्र घुर्र की आवाज आने लगती है। पशु की दम घुटने से मौत भी हो सकती है
उपचार
यदि किसी पशु को गलघोटू की बीमारी हो जाती है तो इसके लिए तुरंत पशु चिकित्सक को दिखाना चाहिए घर पर ही इलाज की कोशिश न करे। ये एक संक्रामक रोग है और जिस पशु को ये बीमारी हो गई है तो उसको अन्य पशु से अलग रखे। और गलघोटू का टिका लगवाए और पशु को पानी और चारे की अलग से सुविधा करे और उस पशु के झूठे चारे को किसी अन्य पशु को न खिलाये
क्या सावधानी बरतनी चाहिए
विशेषज्ञों के मुताबिक, गलघोटू एक संक्रामक बीमारी है और ये तेजी से एक पशु से दूसरे पशु में फैलती है। एक पशु बीमार हो जाता है तो उसको अलग से रखना जरुरी है और उसके लिए चारे और पानी का अलग से प्रबंध करना जरुरी है ताकि रोग अन्य पशुओ में न फैले और पशु चिकित्सक को तुरंत बुलाकर इसका बीमारी का टिका लगवाना जरुरी है। यदि किसी पशु की इस बीमारी से मौत हो जाती है तो उस पशु को खड्डे में दफनाना जरुरी है नहीं तो अन्य पशुओ में ये बीमारी फ़ैल सकती है l