Anar Ki Unnat Kism – अनार की उन्नत किस्में कौन कौन सी है
अनार की बहुत सी उन्नंत किस्मे मौजूद है। अनार पर जलवायु का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है इसलिए अपने क्षेत्र की जलवायु के हिसाब से ही अपना के पौधे अपने बाग़ में लगाने चाहिए। हमेशा अपने बाग़ में अनार के पौधे लगाने से पहले ही उनको लेकर 10 से 15 दिन के लिए वहां रख देना चाहिए ताकि वो अपने आप को जलवायु के हिसाब से एडजस्ट कर सकें।
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Anar Ki Unnat Kism: अनार की पुरे वर्ष डिमांड रहती है। अनार की खेती किसानो के लिए बहुत फायदेमंद होती है क्योंकि इसका रेट मार्किट में हमेशा ज्यादा रहता है। अनार की खेती करने के लिए इस बात का ददैव ध्यान रखना होता है की आप अपने बाग़ में अनार के जो पौधे लगाने जा रहे है वो किस किस्म के हैं।
अनार की बहुत सी उन्नंत किस्मे मौजूद है। अनार पर जलवायु का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है इसलिए अपने क्षेत्र की जलवायु के हिसाब से ही अपना के पौधे अपने बाग़ में लगाने चाहिए। हमेशा अपने बाग़ में अनार के पौधे लगाने से पहले ही उनको लेकर 10 से 15 दिन के लिए वहां रख देना चाहिए ताकि वो अपने आप को जलवायु के हिसाब से एडजस्ट कर सकें।
अनार की उन्नत किस्मे – Anar Ki Unnat Kism
अनार की बहुत सारी उन्नत किस्मे है जो अलग अलग जलवायु के हिसाब से लगाई जाती है। उनकी पैदावार भी अलग अलग होती है और इनके फल में भी काफी अंतर् देखने को मिलता है। अनार की प्रमुख उन्नत किस्मों के नाम इस प्रकार से है।
- गणेश – अनार की उन्नत क़िस्म
- ज्योति – अनार की उन्नत क़िस्म
- मृदुला – अनार की उन्नत क़िस्म
- भगवा – अनार की उन्नत क़िस्म
- अरक्ता – अनार की उन्नत क़िस्म
- जालौर सीडलैस – अनार की उन्नत क़िस्म
- रूबी – अनार की उन्नत क़िस्म
- जोधपुर रेड – अनार की उन्नत क़िस्म
गणेश – अनार की उन्नत क़िस्म
Ganesh Anar Ki Unnat Kism: अनार की गणेश किस्म को महारष्ट्र में बहुत अधिक तादात में लगाया जाता है। महारष्ट्र की जलवायु के हिसाब से ये किस्म वहां पर अधिक पैदावार देती है । अनार की गणेश किस्म को साल 1936 में डॉ. जी.एस.चीमा ने विकसित की थी। इस किस्म के फल साइज में ज्यादा बड़े नहीं होते और इसके बीज अधिक मुलायम और गुलाबी रंग के होते है।
ज्योति – अनार की उन्नत क़िस्म
Jyoti Anar Ki Unnat Kism: अनार की इस किस्म के फल भी साइज में माध्यम आकर के होते है और इसके दाने लाल रंग के होते है। पैदावार के मामले में काफी अच्छी मानी जाती है। इस किस्म को अनार की दो किस्मों के संकरण से बनाया गया था। बेसिन एवं ढ़ोलका के संकरण से बनाई इस किस्म में प्रति पेड़ आपको लगभग 10 से 12 किलोग्राम की पैदावार मिल जाती है।
मृदुला – अनार की उन्नत क़िस्म
Mridula Anar Ki Unnat Kism: अनार की इस किस्म को भी महाराष्ट्र में अधिक बोया जाता है। अनार की इस किस्म के फलों का वजन लगभग 250 ग्राम से लेकर 350 ग्राम तक होता है। इसके फल की सतह काफी चिकनी होती है और सुर्ख लाल रंग होता है। इस किस्म को महारष्ट्र के महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ के द्वारा विकसित किया गया था।
जालौर सीडलैस – अनार की उन्नत क़िस्म
jalaur Anar Ki Unnat Kism: अनार की जालौर किस्म के फल का वजन लगभग 200 से 300 ग्राम के लगभग होता है और इसके फल हलके गुलाबी रंग के साथ में लाल होते है। अनार की ये किस्म खाने में काफी स्वादिष्ट होती है। इसके बीज भी काफी मुलायम होते है। इस किस्म को शुष्क क्षेत्रों में बहुतायत मात्रा में उगाया जाता है।
जोधपुर रेड – अनार की उन्नत क़िस्म
Jodhpur Red Anar Ki Unnat Kism: भारत के उत्तरी और पश्चिमी प्रदेशों में अनार की इस किस्म को अधिक उगाया जाता है। वहां की ये सबसे प्रसिद्ध अनार की किस्म है। जोधपुर किस्म का अनार का फल काफी मुलायम होने के साथ साथ रास भी अधिक निकलता है। इसके फलों का रंग हल्का गुलाबी होता है और दानो का रंग लाल होता है।
अरक्ता – अनार की उन्नत क़िस्म
Arakta Anar Ki Unnat Kism: अनार की इस किस्म को भी महाराष्ट्र के महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ में ही विकसित किया गया था। अनार की किस्मो में सबसे अधिक पैदावार देने वाली अनार की ये किस्म प्रति पौधे के हिसाब से लगभग 30 किलो फल देती है। इसके फलों का रंग सुर्ख लाल होता है और फल काफी मीठा होता है।
भगवा – अनार की उन्नत क़िस्म
Bhagwa Anar Ki Unnat Kism: अनार की अरक्ता किस्म की तरह ये किस्म भी बम्पर पैदावार देती है। अनार की इस किस्म के पौधों से लगभग 40 किलो अनार प्रति पौधा आसानी से प्राप्त हो जाते है। इसके फलों का रंग लाल होता है।