Fasal Jankari

खीरे की खेती से कमाए अच्छा मुनाफा, खीरे की खेती की पूर्ण जानकारी ले

खीरे का राजस्थान में इस्तेमाल दाल-बाटी के साथ सलाद के रूप में किया जाता है । और भारत में भी इसका इस्तेमाल सलाद के लिए बहुत ज्यादा किया था | इसलिए इसकी खेती कच्ची सब्जी के रूप में भी की जाती है।

खीरे मे अधिक मात्रा में पानी पाया जाता है । इसलिए लोग इसका इस्तेमाल गर्मियों के मौसम में पानी की कमी को दूर करने के लिए करते हैं । खीरा सेहत के लिए काफी अच्छा होता है, इसे कच्चा खाना हमारी सेहत को बहुत ज्यादा फायदा पहुंचाता है । खीरा हमारी पेट संबंधित बीमारियों को दूर करता है । इसमें फाइबर की मात्रा पाई जाती है । इसलिए इससे पाचन तंत्र स्वस्थ और मजबूत रहता है । तथा पेट दर्द और पथरी जैसे रोगों से छुटकारा मिलता है । इसके अलावा त्वचा सम्बधित दवाइयां बनाने में भी खीरे का उपयोग किया जाता है

यह एक बेल का पौधा है, जो बेल से बनता है । खीरे का इस्तेमाल सर्वाधिक गर्मियों के मौसम में किया जाता है । बीजों का प्रयोग तेल निकालने के लिए किया जाता है । इससे हमारे मस्तिष्क को बहुत फायदा होता है । खीरे के पौधे का बड़ा होता है। इसके पत्तो पर हल्के बाल पाये जाते हैं । खेरे में प्रचुर मात्रा  मेंमोलिब्डेनम और विटामिन पाया जाता है ।

खीरे की खेती के लिए खेत की तैयारी

  • खीरे की खेती के लिए मिट्टी को अच्छे से भुरभुरा बनाने के लिए 3 से 4 बार खेत को अच्छे से जोतना चाहिए ।
  • खेत में पुरानी फसलों के अवशेष मौजूद नहीं होने चाहिए, इसलिए खेत में मौजूद पुरानी फसलों के अवशेषों को अच्छे से साफ करना चाहिए ।
  • खेत में मौजूद फसलों के अवशेषों को साफ करने के पश्चात एक बार जुताई करें और उसके पश्चात खेत को कुछ दिनों के लिए छोड़ दें ।
  • जुताई करने से पूर्व खेत में रूड़ी की खाद को डालकर या फिर गाय के सड़े हुए गोबर को डालकर जुताई करें ।
  • तीन से चार बार खेत की अच्छे से जोताई करने के बाद5 मीटर चौड़ी और 60 सेंटीमीटर के फैसले पर नर्सरी बेड बनाएं ।

खीरे की खेती के लिए मौसम कैसा होना चाहिए?

खीरे की खेती करने के लिए तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्सियस के मध्य होना चाहिए, इस तापमान पर इसकी खेती करना उचित रहता है। खीरे की खेती 120 से 150 मिलीमीटर वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाती है । खीरे के बीज बुवाई के लिए तापमान 22 से 30 डिग्री सेल्सियस के मध्य होना चाहिए, इसे ज्यादा या कम तापमान पर आपको बुवाई नहीं करनी चाहिए ।

सामान्यतया 30 से 35 डिग्री सेल्सियस के मध्य के तापमान पर खीरे की तुड़ाई या कटाई की जाती है । इस तापमान पर खीरे की फसले अच्छे से पक जाती है और तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है ।

खीरे का बीज

खीरे की खेती करने के लिए बीज को सर्वप्रथम उपचारित करना आवश्यक होता है यह इसलिए क्योंकि बीज उपचारित करने से बीज अच्छे से अंकुरित होता है और अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है ।

खीरे की खेती करने के लिए प्रति एकड़ 1 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। हाइब्रिड किस्मों के लिए इससे कम बीज की मात्रा से काम चला सकते है ।

किसी भी फसल की बुवाई से पूर्व बीजो को अच्छे से उपचारित करना इसलिए आवश्यक होता है, क्योंकि बीज उपचारित करने से फसल को कीटो और बीमारियों से बचाया जा सकता है तथा इससे फसल का जीवनकाल बढ़ता है । बीज उपचारित करने के लिए उचित रासायनिकों का प्रयोग करना चाहिए । बुआई से पूर्व खीरे के बीजों को 2 ग्राम कप्तान के साथ मिलाकर उपचारित करें ।

 

खीरे की उन्नत किस्मे

निम्न दी गई खीरे की सभी किस्में उन्नत है, यह किस्में विदेशी और भारतीय दोनों मिश्रित हैं । जिनकी खेती करके आप अधिक उत्पादन और दाम प्राप्त कर सकते हैं ।

  • पंत संकर खीरा 1

खीरे की यह किस्म लगभग 50 दिनों के अंदर पक्कर तैयार हो जाती है और इसके फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं ॥

इस किस्म के खीरे मध्यम आकार के होते हैं और खीरे लगभग 20 सेंटीमीटर लंबे और हरे रंग के होते हैं । यह एक संकर किस्म है इसे मैदानी भागों तथा पहाड़ी क्षेत्रों में उगाया जा सकता है । इससे आप सामान्य रूप खीरे का 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर खेत में उत्पादन कर सकते हैं ।

  • स्वर्ण अगेती

यह किस्म बहुत जल्द पककर तैयार होने वाली किस्म है । इसकी बुवाई करने के पश्चात या 40 से 42 दिनों के अंदर तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है l इस किस्म के खीरे मध्यम आकार और हल्के हरे रंग के होते हैं । इस किस्म को आप फरवरी से जून के महीने में बुवाई कर सकते हैं । खीरे की इस किस्म की बुवाई करने पर प्रत्येक पौधे में लगभग 15 फलों की संख्या प्राप्त होती है । इससे आप प्रत्येक 5 से 6 दिनों के अंतराल पर तुड़ाई कर सकते हैं तथा इस किस्म से आप 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर खेत में खीरे का उत्पादन कर सकते हैं।

  • पूसा संयोग

खीरे की इस किस्म से आप लगभग 50 दिन के अंदर पककर तैयार हो जाती है तथा इस किस्म के फल 22 से 30 सेंटीमीटर लंबे, गहरे हरे रंग के होते हैं । जिन पर छोटे-छोटे कांटे पाए जाते हैं । यह किस्म अधिक उत्पादन देती है तथा बाजार में से बहुत जल्दी खरीदा जाता है । आप प्रति हैक्टर 200 क्विंटल खीरे का उत्पादन कर सकते हैं ।

 

  • पंजाब खीरा 1

 

खीरे की पंजाब की रावन किस्म लगभग 45 से 60 दिनों के अंदर पक कर तैयार हो जाती है और इस किस्म को सितंबर और जनवरी महीने में बोया जाता है । इस किस्म के एक फल का वजन लगभग 125 ग्राम होता है तथा इसके फल गहरे हरे रंग के होते हैं । इसके फल स्वाद में मीठे होते हैं । फलो की लंबाई 13 से 15 सेंटीमीटर तक होती है।

इस किस्म से आप प्रति हेक्टर खेत में 300 से 370 क्विंटल खीरे का उत्पादन कर सकते हैं ।

  • जापानीज लौंग ग्रीन

खीरे की कि इस किस्म की बुवाई करने पर यह किस्म 40 दिन के अंदर पककर तैयार होती है।

इस किस्म के फल सामान्य 30 से 45 सेंटीमीटर लंबे और हल्के हरे रंग के होते हैं ।

खीरे की बुवाई

  • खीरे की बुवाई करने के लिए उचित समय फरवरी से मार्च के महीने को माना जाता है । इस बीच बुवाई करने से खीरे की फसल अच्छी और जल्दी होती है । क्योंकि इन महीनों में खीरे की खेती करने के लिए उचित तापमान और जलवायु होती है ।
  • खीरे की बुवाई करने के लिए बीज से बीज की दूरी 60 सेंटीमीटर होनी चाहिए और बीजों को 2 से 3 सेंटीमीटर गहराई पर बोये |
  • एक जगह पर दो बीजों को डालें ताकि एक बीज खराब निकलने पर दूसरा अंकुरित हो जाए । ध्यान रहे एक जगह पर दो पौधे उगने पर एक पौधे को उखाड़ दे , नहीं तो दोनों ही अच्छे से नहीं बढ़ पाएंगे ॥

खीरे की बुवाई करने की विधि

सामान्यतया खीरे की बुवाई करने के लिए चार विधीयो को काम में लिया जाता है जिनमें से हम एक का विवरण जानेंगे ।

  1. छोटी सुरंगी विधि
  2. गड्ढे खोद कर बुवाई करना
  3. खालियां बनाकर बुवाई करना
  4. गोलाकार गड्ढे खोदकर बुवाई करना
  • छोटी सुरंगी विधि

छोटी सुरंगी विधि द्वारा बुवाई करने से फसल जल्दी से पक जाती है तथा यह विधि फसल को दिसंबर और जनवरी की ठंड से बचाती है । इस विधि के दौरान दिसंबर महीने में 2.5 मीटर चौड़ी बैडों पर खीरे की बुवाई की जाती है । विधि में खीरे के बीजों को बेड के दोनों तरफ 45 सेंटीमीटर के फासले पर बोया जाता है |

छोटी सुरंगी विधि द्वारा बुवाई करने के लिए बुवाई करने से पूर्व 45 से 60 सेंटीमीटर लंबे और सहायक डंडों को मिट्टी में गाड़े | उसके पश्चात खेत को 100 गेज़ मोटाई वाली प्लास्टिक की सीट से सहायक डंडों की सहायता से पूरी तरह से ढक दें |

उसके पश्चात फरवरी महीने में जब तापमान सही हो जाए तो प्लास्टिक की सीट को हटा दें |

खीरे की सिंचाई

यदि आप खीरे की खेती गर्मी के मौसम में करते हो तो फसल को अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है । अन्यथा वर्षा के मौसम में इसको सिंचाई की जरूरत नहीं होती है ।

गर्मियों के मौसम में आपको खीरे की फसल को लगभग 10 से 12 बार पानी पिलाना चाहिए और बुवाई के बाद आपको पहली सिंचाई करनी चाहिए ।  इसके बाद 2 से 3 दिनों के अंतराल पर आपको सिंचाई करनी चाहिए । बुवाई के 4 से 5 दिनों के बाद आप दूसरी सिंचाई कर सकते हैं ।

बेलो पर जब फल लग जाए तो खेत में नमी आवश्य रखें नहीं तो आपके फल की उत्पादन क्षमता कम हो सकती है और फल सड़ सकते हैं।

खाद एवं उर्वरक

खीरे की फसल को खाद एवं उर्वरक देने से इसका उत्पादन अच्छा होता है और अधिक खीरे प्राप्त होते हैं | जब आप खेत की तैयारी करते हो तो उस समय ही आपको प्रति एकड़ के हिसाब से सड़े हुए गोबर खाद को डालना चाहिए ।

खीरे की फसल में रासायनिक खादों का उपयोग करने के लिए आपको यह बात अवश्य ध्यान रखनी है कि कोई भी रसायन जब आप उपयोग करते हैं तो उसकी सलाह-फरामोश अवश्य करें या फिर किसी कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें ।

  • खीरे की फसल में रासायनिक खाद के रूप में नाइट्रोजन और फास्फोरस की 12-12 किलोग्राम मात्रा का उपयोग करें
  • इसके अलावा पोटाश की 10 किलोग्राम मात्रा खीरे की फसल के लिए पर्याप्त रहती है ।
  • बुवाई करते समय नाइट्रोजन और फास्फोरस की ⅓ मात्रा को खेत में डालें और पोटाश की पूरी मात्रा को डालें तथा शेष बची हुई नाइट्रोजन और फास्फोरस को दो बार बीज बुवाई के समय और एक महीने बाद फूल आने पर खेत की नालियों में डालें ।
  • खीरे की बीजों की बुवाई डोलियों पर की जाती है । इसलिए खेत में डोलिया बनाकर एन.पी.के. खाद की उचित मात्रा का छिड़काव करना चाहिए ।
  • खीरे की बीज बुआई के 30 दिन के बाद प्रति एकड़ खेत में 20 किलोग्राम नाइट्रोजन की मात्रा को पानी में घोलकर छिड़काव करें । उसके बाद 40 दिनों के अंतराल में 20 किलोग्राम नाइट्रोजन का फिर से छिड़काव करें इससे पैदावार अच्छी होगी । ।

खीरे की फसल की निराई गुड़ाई

खीरे की फसल में खरपतवार अगर समय पर नियंत्रण नही किया जाए तो यह फसल को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं । इसलिए इनको नष्ठ करने के लिए निराई गुड़ाई विधी या रासायनिक विधी का प्रयोग किया जाता है ।

खीरे की फसल में खुरपी या कुदाल के द्वारा खरपतवार को जड़ से निकलना चाहिए । यदि फसल बड़े क्षेत्र में हो तो मजदूरो की सहायता से खरपतवार को हटाना चाहिए |

यदि आप फसल की बुआई वसंत ऋतु या ग्रीष्मकालीन में करते हो, तो आपको 15 से 20 दिनों के अंतराल पर दो से तीन बार अपने खेत में निराई गुड़ाई करनी चाहिए अथवा वर्षा समय में आपको 15 से 20 दिन के अंतर पर चार से पांच बार निराई गुड़ाई करनी चाहिए । वर्षा के समय में आपको खीरे की जड़ों में मिट्टी को चढ़ाना चाहिए ।

खीरे में रोग और उनकी रोकथाम

उखटा या जड़ विगलन रोग

  • यह रोक फसल में फंगस या फफूंद से फैलता है ।
  • यह रोग खीरे की फसल को बीज अंकुरण अवस्था से ही प्रभावित करना शुरू हो जाता है । और इस रोग से सर्वाधिक पौधे की जड़े ही प्रभावित होती है ।
  • इस रोग के कारण खीरे के पौधे की जड़ें सूखने लगती है ।
  • इस रोग के कारण प्रकाश संश्लेषण की क्रिया रुक जाती है ।
  • इस रोग का प्रभाव होने पर पौधे की पत्तियां शुरुआती तोर में पीली पड़ती है। उसके पश्चात पत्तियां सूखकर गिर जाती है ।

रोकथाम:-

  • इस रोग से बचाव के लिए जब खेत की तैयारी की जाती है, उस समय एक बार गहरी जुताई करें। जुदाई करने के कारण फफूंदजनित रोग खत्म हो जाते हैं ।
  • बुवाई करने से पूर्व बीज उपचारित करें बीज को उपचारित करने के लिए रसायनों जैसे – वेक्स पावर (Vitavax Power) इसे हमें 2 ग्राम प्रति किलो बीज के साथ मिलाकर उपचार करना चाहिए । इसके अलावा आप जैविक फफूंद नाशक डर्मस की 4 से 5 मिली लीटर मात्रा को प्रति किलो बीज के साथ मिलाकर उपचारित करें ।

खीरा मोजैक वायरस

यह एक विषाणु जनित रोग है । जो चूसक कीटों के माध्यम से पौधों में फैलता है | इस रोग के कारण पौधे की पत्तियों पर चितकबरापन लक्षण दिखाई देने लग जाते हैं । इस रोग के कारण पौधे की पत्तियां छोटी हो जाती है तथा हारी-पीले रंग की दिखाई देती है । इससे पौधे का विकास रूक जाता है | इसलिए इस रोग से ग्रसित पौधें बौने आकर के ही रह जाते हैं | इस रोग के कारण फसल में 50 से 60% तक उत्पादन में कमी आती है ।

रोकथाम:-

  • इस रोग से ग्रसित पौधे को उखाड़ फेंकना चाहिए
  • यह रोग मुख्यत खरपतवार के कारण फैलता है l इसलिए फसल में खरपतवार नियंत्रण करना चाहिए ।
  • इस रोग से बचाव के लिए खीरे की रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली किस्मों का चुनाव करना चाहिए ।
  • खीरा मोजैक वायरस को नियंत्रित करने के लिए फसल में धानुका धनप्रीत, धानुका अरेवा, बायर कॉन्फिडोर, धानुका पेजर जैसे रसायनों का उचित मात्रा में छिड़काव करना चाहिए ।

पाउडरी मिल्ड्यू रोग

यह रोग फंगस के माध्यम से फैलता है । यह खीरे की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग है । यह रोग सभी कद्दूवर्गीय फसलों में पाया जाता है और खीरे की फसल भी कद्दूवर्गीय में आती है | यह खीरे की पत्तियों और तनों पर आक्रमण करता है । इसलिए इस रोग के कारण खीरे के पत्ते और तने सफेद रंग के पाउडर के समान दिखाई देने लगते हैं । यह रोग धीरे धीरे बढ़ते पूरे पौधे पर फैल जाता है और पौधे की पत्तियां पूरी सफेद पाउडर के समान हो जाते हैं और हाथ लगाने पर यह पाउडर उंगलियों में लग जाता है। इस रोग के कारण खीरे के पौधे की वृधि रुक जाती है ।

रोकथाम:-

  • इस रोग से बचाव के बुवाई से पूर्व एक बार गहरी जुताई करें।
  • बुवाई से पूर्व बीज को अच्छे से उपचारित करें ।
  • इसके अलावा रसायनीक उपचार के लिए धानुका धानुस्टिन, अवेंसर ग्लो, टाटा रैलिस ताकत, क्यूप्रोफिक्स की उचीत मात्रा का फसल में छिड़काव करें । ।

कटाई

खीरे की फसल सामान्यतया 2 महीने में पककर तैयार हो जाती है और 2 महीने बाद इसके फल तोड़ने लायक हो जाते है । जब फल अच्छे से मुलायम और उत्तम आकार के हो जाए, तब आपको सावधानी पूर्वक इसके फलों को तोड़कर अलग करना है । खीरे की खेती से आप प्रति हेक्टर 50 से 60 क्विंटल फल प्राप्त कर सकते हैं ।

खीरे के उपयोग एवं फायदे

  • विदेश और भारत में लोग खीरे का अधिकतम इस्तेमाल सलाद के रूप में करते हैं । इससे शरीर की कई सारी बीमारियां दूर होती है । लोग इसे ज्यादातर कच्चा खाना पसंद करते है तथा इसकी सब्जी भी बनाई जाती है ।
  • खीरा हमारी त्वचा और पेट के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है । क्योंकि खीरे में फाइबर पाया जाता है । जो हमारे पाचन तंत्र को स्वस्थ रखते हैं । डॉक्टर कच्चे खीरे को खाने की सलाह देते हैं ।
  • राजस्थानी लोग गर्मियों में खीरे का इस्तेमाल दाल-बाटी के साथ सलाद के रूप में करते हैं जिसे विदेशी लोग बहुत ज्यादा पसंद करते हैं ।
  • खीरे के सेवन से हड्डियों संबंधित बीमारियां भी दूर होती है ।
  • खीरे में लगभग 90% पानी पाया जाता है । इसलिए लोग इसका इस्तेमाल गर्मियों में करते हैं और इससे पानी की कमी दूर होती है I जिन लोगों को डिहाइड्रेशन होता है डॉक्टरों उन्हे खीरा खाने की सलाह देते हैं ।
  • खीरा हमारी आंखों को ठंडा रखता है इसको काट कर फ्रिज में रख दें, उसके पश्चात अगर हम आंखों पर इसे रखें तो इससे हमारी आंखें शीतल रहती है ।
  • खीरे में ज्यादातर विटामिंस की मात्रा पाई जाती है । विटामिंस के रूप खीरे में विटामिन ए, विटामिन बी और विटामिन सी पाए जाते हैं । अगर आपके शरीर में इन सभी विटामिनों की कमी है । तो आप खीरे का इस्तेमाल कर सकते हैं ।

यदि आपके शरीर में यह सभी बीमारियां है, तो आपको खीरे का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि खीरे आपकी सेहत बहुत ज्यादा लाभदायक होता है । यदी आपके शरीर में यह बीमारी नहीं भी है तो भी आपको खीरे का सेवन एक निस्चित अंतराल के बाद करना चाहिए । क्योंकि यह हमारी सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है । यह हरी सब्जियों में गिना जाता ।

खीरे का इतिहास

विश्व भर में खीरे का उत्पादन लगभग 3000 वर्ष पूर्व से किया जा रहा है । इसकी उत्पत्ति सर्वप्रथम भारत देश से हुई थी । यहां पर इसकी कुकुमिस हिस्ट्रिक्स (Cucumis Hystrix) प्रजाति मशहूर थी । इसके बाद खीरे को यूनानीयो और रोमन सभ्%

Vinod Yadav

विनोद यादव हरियाणा के रहने वाले है और इनको करीब 10 साल का न्यूज़ लेखन का अनुभव है। इन्होने लगभग सभी विषयों को कवर किया है लेकिन खेती और बिज़नेस में इनकी काफी अच्छी पकड़ है। मौजूदा समय में किसान योजना वेबसाइट के लिए अपने अनुभव को शेयर करते है। विनोद यादव से सम्पर्क करने के लिए आप कांटेक्ट वाले पेज का इस्तेमाल कर सकते है।

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