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गेहूं की फसल (Gehu Ki Fasal) में मिलेगी अधिक पैदावार, दाने होंगे मोटे, सिंचाई के समय करना है ये काम

By Vinod Yadav

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gehu ki fasal

भारत में गेहूं की फसल (gehu ki fasal) को बहुत अहम माना जाता है। यह पूरे देश में करोड़ों किसानों की आमदनी का मुख्य स्रोत है और हमारे दैनिक आहार का एक बड़ा हिस्सा भी है। गेहूं की खेती (gehu ki kheti) रबी सीजन में की जाती है, जिसमें ठंडे मौसम की आवश्यकता होती है। इसके लिए नवंबर से दिसंबर का समय सबसे अच्छा रहता है, क्योंकि इस अवधि में तापमान और मौसम की परिस्थितियां बीज अंकुरण और पौधे के शुरुआती विकास के लिए उपयुक्त होती हैं।

यह फसल अधिकतर उत्तर भारत, मध्य भारत और पश्चिमी भारत के कई राज्यों में उगाई जाती है। गेहूं की उन्नत किस्में (gehu ki unnat kismein) जैसे- HD 2967, PBW 550, HD 3086 आदि का चयन करके किसान बंपर पैदावार (bumper paidavar) प्राप्त कर सकते हैं। इन किस्मों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है और ये कम समय में तैयार भी हो जाती हैं। अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी, जिसमें जैविक पदार्थ (ऑर्गेनिक मैटर) की मात्रा अधिक हो, गेहूं की खेती के लिए बहुत फायदेमंद साबित होती है।

गेहूं में सिंचाई का समय और सावधानियां

  1. पहली सिंचाई
    • गेहूं में पहली सिंचाई बीज बोने के 20-25 दिन बाद की जाती है।
    • इस समय पौधों में जड़ों के विकास की जरूरत होती है, इसलिए खेत में पर्याप्त नमी बनाए रखना जरूरी है।
    • सिंचाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि पानी का बहाव ज्यादा तेज न हो, वरना बीज उखड़ने या बह जाने का खतरा रहता है।
  2. दूसरी सिंचाई
    • दूसरी सिंचाई आमतौर पर पहली सिंचाई के 20-25 दिन बाद की जाती है।
    • इस समय पौधों में कल्ले (टीलरिंग) बनते हैं, जिनकी संख्या बढ़ने से भविष्य में उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है।
    • कल्ले बेहतर तरीके से विकसित हों, इसके लिए खेत में जरूरत के अनुरूप नमी होना जरूरी है।
  3. तीसरी सिंचाई
    • तीसरी सिंचाई गभार (बूटिंग स्टेज) के समय की जाती है, जब पौधों में बालियां बनने लगती हैं।
    • इस दौर में पौधों को पर्याप्त पोषण और नमी की जरूरत होती है ताकि दानों का सही विकास हो सके।
  4. आखिरी सिंचाई
    • अंतिम सिंचाई (akhiri sinchai) दानों के पकने से लगभग 20 दिन पहले की जाती है।
    • इस समय अगर खेत में जरूरत से ज्यादा पानी दिया जाता है तो दाने कच्चे रह सकते हैं या उनका रंग बदल सकता है।
    • बहुत अधिक नमी से पौधों में फंगस लगने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए आखिरी सिंचाई में पानी की मात्रा नियंत्रित रखें।

गेहूं में खाद और उर्वरकों का उपयोग

  1. बेसल ड्रेसिंग (शुरुआती खाद)
    • बीज बोते समय खेत तैयार करते वक्त गोबर की सड़ी हुई खाद (gobar ki sadi hui khaad) या जैविक खाद जरूर मिलाएं। इससे मिट्टी की उर्वरता और जलधारण क्षमता बढ़ती है।
    • इसके अलावा, एनपीके (NPK) उर्वरक का उपयोग भी किया जाता है। आमतौर पर संतुलित मात्रा में नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P) और पोटैश (K) दिया जाता है।
  2. टॉप ड्रेसिंग (बीच में दी जाने वाली खाद)
    • पहली सिंचाई के बाद यूरिया (नाइट्रोजन) की एक हल्की मात्रा टॉप ड्रेसिंग के रूप में दें। इससे पौधों में कल्ले बढ़ने में मदद मिलती है।
    • दूसरी या तीसरी सिंचाई के समय पोटैश और फॉस्फोरस की जरूरत पड़ सकती है। इससे पौधे मजबूत होते हैं और दाने बनने की क्षमता बढ़ती है।
  3. जैविक खाद या कम्पोस्ट
    • रसायनिक उर्वरकों के साथ-साथ जैविक खाद (ऑर्गेनिक मैन्योर या वर्मी कम्पोस्ट) का उपयोग करने से मिट्टी की संरचना में सुधार होता है।
    • जैविक खाद पौधों को आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व भी प्रदान करती है और फसल की गुणवत्ता को बेहतर बनाती है।

गेहूं में लगने वाले रोग और उनका उपचार

  1. रस्ट रोग (सभी प्रकार के रस्ट – पीली, भूरी, काली)
    • लक्षण: पत्तियों पर पीले, भूरे या काले रंग के धब्बे या धारीदार दाग दिखाई देते हैं।
    • बचाव: उन्नत किस्में (gehu ki unnat kismein) लगाएं, जो रस्ट-प्रतिरोधी हों। फसल में संतुलित उर्वरकों का इस्तेमाल करें, जिससे पौधे मजबूत बनें।
    • उपचार: रस्ट की शुरुआत होते ही उपयुक्त फफूंदनाशक (fungicide) का छिड़काव करें। बाज़ार में उपलब्ध अच्छे गुणवत्ता वाले फफूंदनाशकों का समय से प्रयोग किया जा सकता है।
  2. करनाल बंट (स्मट रोग)
    • लक्षण: दाने काले रंग के पाउडर जैसे फंगस से भरे होते हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों कम हो जाते हैं।
    • बचाव: बीज शोधन करना बहुत जरूरी है। बीज बोने से पहले बीज को उचित दवा से शोधन करें।
    • उपचार: अगर रोग दिखे, तो तुरंत प्रभावित बालियों को निकालकर नष्ट कर दें। अगली बार बीज को जरूर ट्रीट करके बोएं।
  3. ब्लाइट रोग (पत्ता झुलसा)
    • लक्षण: पत्तियों पर भूरे धब्बे बनते हैं और ये धब्बे बड़े होकर पूरी पत्ती को सुखा देते हैं।
    • बचाव: खेत में ज्यादा नमी इकठ्ठा न होने दें, साथ ही फसल में ज्यादा घनत्व न रखें।
    • उपचार: जरूरत पड़ने पर तांबे या उपयुक्त रसायन वाले फफूंदनाशक का छिड़काव करें।

दानों के अच्छे पकने और अधिक पैदावार के लिए सुझाव

  1. संतुलित सिंचाई और समय पर खाद
    • सही समय पर सिंचाई और संतुलित खाद देने से पौधों को पूरा पोषण मिलता है।
    • आखिरी सिंचाई पर विशेष ध्यान रखें ताकि फसल जरूरत से ज्यादा पानी न सोखे और दाने पक्के रहें।
  2. खरपतवार नियंत्रण
    • गेहूं में खरपतवार जल्दी फैलने पर पौधों को पोषक तत्व और धूप नहीं मिल पाती।
    • समय-समय पर निराई-गुड़ाई या उचित खरपतवारनाशकों का इस्तेमाल करें।
  3. पौध संरक्षण
    • फसल को कीट और रोगों से बचाने के लिए समय-समय पर निरीक्षण करें।
    • जरूरत पड़ने पर जैविक या रासायनिक कीटनाशकों का छिड़काव करें, लेकिन उनकी मात्रा और समय का ध्यान रखें।
  4. सही समय पर कटाई
    • जब पौधे पूरी तरह से सूख जाएं और दाने कठोर हो जाएं तब कटाई करें।
    • अगर जल्दी या देर से कटाई की जाती है तो उत्पादन की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
  5. अनुभवी किसानों और कृषि वैज्ञानिकों की सलाह
    • अगर कोई नई तकनीक या उन्नत किस्म (unnat kismein) आती है, तो कृषि वैज्ञानिकों या कृषि विभाग से जानकारी लेकर उसे अपनाएं।
    • आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग करके न सिर्फ समय बचाया जा सकता है, बल्कि उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है।

गेहूं की फसल (gehu ki fasal) में सही समय पर सिंचाई (gehu ki sinchai), संतुलित उर्वरक (gehu me urvark) तथा उचित रोग नियंत्रण (gehu ke rog aur upchar) के उपाय अपनाकर किसान बंपर पैदावार (bumper paidavar) पा सकते हैं। अच्छी गुणवत्ता के दाने और अधिक उत्पादन के लिए जैविक खाद और उन्नत किस्मों का इस्तेमाल करना भी लाभदायक होता है। सबसे महत्वपूर्ण है, खेती के हर चरण में सही जानकारी और सावधानी बरतना, ताकि लागत कम हो और मुनाफा ज्यादा मिल सके। नई तकनीकों, मार्केट ट्रेंड (market trend) और स्थानीय मौसम को ध्यान में रखते हुए खेती करने से अच्छी आमदनी पाई जा सकती है।

Vinod Yadav

विनोद यादव हरियाणा के रहने वाले है और इनको करीब 10 साल का न्यूज़ लेखन का अनुभव है। इन्होने लगभग सभी विषयों को कवर किया है लेकिन खेती और बिज़नेस में इनकी काफी अच्छी पकड़ है। मौजूदा समय में किसान योजना वेबसाइट के लिए अपने अनुभव को शेयर करते है। विनोद यादव से सम्पर्क करने के लिए आप कांटेक्ट वाले पेज का इस्तेमाल कर सकते है।

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