Ganne Ki Fasal Me Lagne Wale Rog: किसान भाइयों की गन्ने की फसल में कई बार कीड़े लगने की वजग से पूरी की पूरी फसल चौपट हो जाती है। ऐसे में अच्छी पैदावार नहीं होने के कारण किसान भाई आर्थिक संकट में आ जाते हैं। ज्यादातर मामलों में जागरूकता नहीं होने के कारण ऐसा देखने को मिलता है। लेकिन इस आर्टिकल को आखिर तक पढ़ने के बाद आपकी ये समस्या हमेशा के लिए ख़त्म हो जायेगी और कभी भी आपके गन्ने की खेती में कीड़े नहीं लगेंगे।
ज्यादातर ये समस्या बारिश के मौसम में देखने को मिलती है लेकिन कभी कभी सर्दियों में भी कुछ कीड़े गन्ने की फसल में देखने को मिल जाते है जो अंदर ही अंदर गन्ने के पेड़ को खखला कर देते हैं। चलिए आपको गन्ने में कौन कौन से कीड़े लगते हैं और उनकी रोकथाम के क्या क्या उपाय करने हैं वो सब बताते है। किसान भाइयों के लिए ये आर्टिकल बहुत काम का होने वाला है इसलिए इस आर्टिकल को आपको आखिर तक जरुरत पढ़ना चाहिए।
गन्ने की फसल में लगने वाले रोग
वैसे तो गन्ने की फसल में बहुत सारे रोग लगते हैं। कुछ रोग कीड़ों की वजह से होते हैं और कुछ रोग मौसमी होते हैं। लेकिन हम आपको गन्ने की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान करने वाले रोगों के बाते में बताते हैं। आमतौर पर गन्ने की फसल में जो रोग लगते हैं वो ये हैं:
- काली कीड़ी रोग
- पायरिला रोग
- कंडुआ रोग
- टॉप बोरर रोग
- फॉल आर्मीवर्म रोग
- लाल सड़न रोग
- लाल धारी रोग
गन्ने की फसल में लगने वाले रोग और उनकी रोकथाम
गन्ने की फसल में लगने वाला काली कीड़ी रोग
गन्ने की फसल में लगाने वाले काली कीड़ी रोग के कारण गन्ने के पौधे पिले रंग के होने लगते हैं और धीरे धीरे करके मुरझा जाते हैं। ये बहुत ही खतरनाक रोग होता है। आमतौर पर इस रोग के लगने के बाद किसान यही समझता है की गन्ने की फसल में पानी की कमी हो गई है लेकिन ऐसा नहीं होता है। गन्ने की फसल में ये रोग लगने के बाद पूरी फसल को ही बर्बाद कर देती है।
गन्ने की फसल को काली कीड़ी रोग से बचने के लिए किसान भाईओं को इमिडाक्लोप्रिड 17.8 ईसी स्प्रे का छिड़काव गन्ने की फसल में करना चाहिए। इसका छिड़काव आप प्रभावित जगह पर या फिर पुरे खेत में कर सकते हो। बारिश के मौसम में काली कीड़ी रोग अपने आप ही ख़त्म हो जाता है। इस रोग का सबसे जायदा प्रभाव जुलाई के आसपास के महीनों में ज्यादा देखने को मिलता है।
गन्ने की फसल में लगने वाला पायरिला रोग
पायरिला रोग गन्ने की फसल में अगर लग जाता है तो गन्ने की पूरी फसल के पत्तों पर पीले रंग के धब्बे बन जाते है। इसका कारण है पायरिला रोग के कीड़ों द्वारा पत्तों का रास लगातार चूसते रहना। पत्तों पर पिले धब्बे धीरे धीरे बढ़ने लगते है और फिर गन्ने का पूरा पौधा ही सूखने लगता है।
पायरिला रोग से गन्ने की फसल को बचाने के लिए किसान भाइयों को ध्यान रखना होगा की फसल में जैसे ही ये रोग नजर आये तो उन पौधों को उखड कर बहार कर दें। साथ में किसान भाइयों को गन्ने की फसल में नाइट्रोजन की मात्रा को कम करना होगा तभी इस रोग से बचाव किया जा सकता है।
गन्ने की फसल में लगने वाला कंडुआ रोग
कंडुआ रोग गन्ने की फसल के लिए बेहद खतरनाक होता है। कंडुआ रोग के लगने के बाद गन्ने के पौधों के पौरों में फुटाव होने लगता है और इस फुटाव के कारण गन्ने का पौधा पतला रह जाता है। ये रोग एक फफूंद से पैदा होने वाला रोग है और ये रोग गन्ने की फसल में लगने के बाद पैदावार पर बहुत जायदा असर डालता है।
कंडुआ रोग से गन्ने की फसल को बचाने के लिए प्रोपिकोनाजोल 25 EC स्प्रे को गन्ने की फसल में छिड़काव करना होगा। लेकिन किसान भाई ध्यान दें की इस स्प्रे का छिड़काव साफ मौसम में किया जाना चाहिए। साथ में जिन पौधों को कंडुआ रोग ने ख़राब कर दिया है उनको उखाड़ कर नस्ट कर देना चाहिए।
गन्ने की फसल में लगने वाला टॉप बोरर रोग
टॉप बोरर रोग गन्ने की फसल में पौधों के पत्तों में छेद कर देते है। जब ये रोग फसल में लगता है तो शुरुआत में पौधों के पत्ते भूरे रंग के नजर आने लगते हैं। लेकिन धीरे धीरे पत्तों में छेद होने लगता है। टॉप बोरर रोग एक सफ़ेद रंग के कीड़े के कारण होता है जो बहुत ही छोटा होता है लेकिन गन्ने की फसल के लिए बहुत ही हानिकारक होता है।
टॉप बोरर रोग से अपनी गन्ने की फसल का बचाव करने के लिए किसान भाई रोग से ग्रसित पौधों को हटा लें और उनको पशु चारे के रूप में इस्तेमाल कर लें। साथ में खेत में दिए जाने वाले उर्वरकों में नाइट्रोजन की मात्रा कम कर दें जिससे से रोग धीरे धीरे खत्म हो जायेगा।
गन्ने की फसल में लगने वाला फॉल आर्मीवर्म रोग
वैसे देखा जाए तो ये रोग मक्के की फसल में लगने वाला रोग है लेकिन कभी कभी गन्ने की फसल में भी लग जाता है। फॉल आर्मीवर्म रोग के कीड़े बहुत ज्यादा संख्या में पत्तियों पर हमला करते है और उन पर अंडे दे देते हैं। इस कारण से गन्ने के पौधों की पत्तियां ख़राब होने लगती है।
इस रोग से फसल को बचाने के लिए खेत में नीम के तेल का छिड़काव करना चाहिए। नीम के तेल के छिड़काव के बाद ये कीड़े गन्ने की फसल में पत्तियों पर हमला नहीं कर पाएंगे।
गन्ने की फसल में लगने वाला लाल धारी रोग
सयूडोमोनास रूब्रीलिनिएन्स ना का एक जीवाणु होता है जो गन्ने की फसल में होने वाले लाल धरी रोग का प्रमुख कारण होता है। आमतौर पर देखा गया है की ये रोग पत्तियों के निचले हिस्से से शुरू होकर धीरे धीरे पूरी पत्ती को लग जाता है। इस रोग के लगने के कारण पत्तियों में पाया जाने वाला क्लोरोफिल नामक पदार्थ ख़त्म होने लगता है और पौधा सूख जाता है।
गन्ने की फसल में लगने वाला लाल सड़न रोग
इस रोग के कारण गन्ने के तने की अंदर वाला भाग पूरी तरफ से ख़राब हो जाता है। इस रोग के लगने के बाद गन्ने के उस भाग से अल्कोहल जैसी गंध आने लगती है। ये रोग भी एक फफूंद से पैदा होने वाला रोग है। लाल सड़न रोग आमतौर पर अगस्त के महीने में अपना प्रकोप अधिक दिखता है।
इस रोग से बचाव करने के लिए किसान भाई को गन्ने की रोपाई से पहले ही कुछ कदम उठाने होते हैं। गन्ने की रोपाई से पहले नैटिवो 75 डब्ल्यूडीजी या कैब्रियो 60 डब्ल्यूडीजी 500 पीपीएम स्प्रे का छिड़काव पुरे खेत में करना चाहिए और उसके बाद गन्ने के पैड़ी की रोपाई करणी चाहिए।
तो किसान भाइयों अगर आप गन्ने की खेती करते है तो उम्मीद है की आपको किसान योजना का ये आर्टिकल काफी काम का साबित हुआ होगा। इस आर्टिकल में हमने गन्ने की फसल में लगने वाले सभी रोगों को कवर किया है और उम्मीद है की ये जानकारी आपके बहुत काम आएगी। आर्टिकल पसंद आया हो तो किसान भाइयों इसको शेयर जरूर करना।