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सरसों की फसल पर गर्मी का असर: नुकसान और बचाव के तरीके

By Vinod Yadav

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Effect of heat on mustard crop: damage and prevention methods

सरसों (Mustard) रबी सीज़न की एक प्रमुख तिलहनी फसल है। सामान्य तौर पर इसका बुवाई का समय ठंड से लेकर हल्की गर्मी तक होता है, परंतु हाल के वर्षों में ग्लोबल वार्मिंग और मौसम में आ रहे बदलावों के कारण सरसों की पैदावार पर विपरीत असर पड़ने लगा है। जैसे-जैसे ग्रीष्म ऋतु जल्दी शुरू होती है, सरसों की फसल को समय से पहले तेज़ धूप और लू का सामना करना पड़ता है। इसकी वजह से:

  1. पौधों की बढ़वार में कमी: तेज़ गर्मी सरसों की जड़ों से पानी (सोखने) को कम कर देती है, जिससे पौधों की सही बढ़वार नहीं हो पाती।
  2. फूल और फलियों पर असर: सरसों में फूल आने व फली बनने के समय यदि तापमान सामान्य से ज्यादा बढ़ जाए, तो फलियां कम बनती हैं और उनकी गुणवत्ता भी घट जाती है।
  3. उपज में गिरावट: गर्मी के कारण समय से पहले पौधों के पत्ते मुरझाने लगते हैं और दाना भराव (Grain Filling) ठीक से नहीं हो पाता, जिससे उत्पादन में गिरावट आती है।
  4. कीट व रोगों का बढ़ना: उच्च तापमान और नमीयुक्त वातावरण में फली बेधक (Pod Borer) व कुछ फफूंद जनित रोगों का प्रकोप बढ़ सकता है।

गर्मी से होने वाले नुकसान से बचाव के उपाय

गर्मी के चलते सरसों की फसल बचाने के लिए कुछ आसान व प्रभावी तरीक़े अपनाए जा सकते हैं:

  1. सिंचाई का उचित प्रबंधन
    • टपक सिंचाई (Drip Irrigation) का प्रयोग करें, जिससे पानी की बर्बादी कम होती है और पौधों को जरूरत के अनुसार नमी मिलती रहती है।
    • फसल में नमी बनाए रखने के लिए हल्की सिंचाई करना ज़रूरी है। विशेषकर फूल आने और दाना भराव के समय पर्याप्त पानी देना चाहिए।
    • गर्मी में धूप तेज होने पर सुबह या शाम के समय सिंचाई करें ताकि पानी का वाष्पीकरण कम हो सके।
  2. जैविक मल्चिंग (Mulching)
    • पौधों के आसपास फसल अवशेष, सूखी घास या पत्तियों का मल्च बिछाएं। इससे मिट्टी में नमी बनी रहती है और पौधों की जड़ें गर्मी से सुरक्षित रहती हैं।
    • मल्चिंग से खरपतवार भी कम होते हैं, जिससे फसल को पोषक तत्त्वों की कमी नहीं होती।
  3. उचित पोषण प्रबंधन
    • समय-समय पर जैविक खाद और कम्पोस्ट दें, ताकि मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़े और पौधों को भरपूर पोषण मिलता रहे।
    • फास्फोरस और पोटैशियम वाली उर्वरकों का प्रयोग फसल की जड़ों और तनों को मजबूत रखने में मदद करता है।
    • कभी-कभी फोलियर स्प्रे (पत्ती पर छिड़काव) के रूप में सूक्ष्म पोषक तत्त्वों (जस्ता, बोरॉन, आदि) का छिड़काव करना भी लाभदायक होता है।
  4. ठंडे मौसम में बुवाई का सही समय
    • सरसों की बुवाई का समय बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। अगर बहुत देरी से बुवाई की गई तो फसल को तेज गर्मी का सामना जल्दी करना पड़ सकता है।
    • जलवायु परिवर्तन को देखते हुए बुवाई की तारीखें स्थानीय मौसम की भविष्यवाणी एवं कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार निर्धारित करें।
    • सही समय पर बुवाई करने से फसल अपने संवेदनशील चरणों (फूल और फली बनना) में ज्यादा तापमान से बची रहती है।
  5. कीट और रोग प्रबंधन
    • गर्मी के मौसम में फली बेधक और चेपा (Aphid) का प्रकोप बढ़ जाता है।
    • इनके नियंत्रण के लिए जैविक उपाय जैसे नीम का तेल या नीम बेस्ड कीटनाशक का इस्तेमाल करें।
    • खेत में अत्यधिक नमी, खरपतवार, और पौधों की घनी कतारों से बचें, क्योंकि ये कीटों के प्रजनन के लिए अनुकूल माहौल बना देते हैं।

अगर गर्मी के चलते सरसों की फसल फायदेमंद न रहे, तो वैकल्पिक फसलें

कई बार असामान्य गर्मी के कारण सरसों की उपज प्रभावित होती है। ऐसे में किसान वैकल्पिक फसलों का चुनाव करके नुकसान कम कर सकते हैं। कुछ प्रमुख वैकल्पिक फसलें इस प्रकार हैं:

  1. चना (Gram/Chickpea)
    • कम पानी और कम तापमान में भी बेहतर पैदावार देता है।
    • इसकी बुवाई भी लगभग सरसों के आसपास ही होती है, इसलिए एक बेहतर विकल्प बन सकता है।
  2. मटर (Pea)
    • सरसों के स्थान पर मटर की खेती से जल्दी लाभ मिल सकता है।
    • मटर के लिए भी हल्की ठंड जरूरी है, परन्तु बढ़ती गर्मी से पहले इसकी फसल तैयार हो जाती है।
  3. अलसी (Linseed)
    • तिलहनी फसल होने के कारण इसका बाज़ार भाव ठीक-ठाक रहता है।
    • कम पानी में भी इसकी खेती हो सकती है और मिट्टी की उर्वरता को भी बनाए रखती है।
  4. जौ (Barley)
    • तापमान सहन करने की क्षमता अच्छी होती है।
    • चारे और अनाज दोनों के रूप में उपयोग किया जाता है, जिससे आर्थिक सुरक्षा बढ़ती है।

ध्यान रखने योग्य बातें

  • वैकल्पिक फसलें चुनते समय अपने इलाके की मिट्टी, पानी की उपलब्धता और बाज़ार माँग को ध्यान में रखें।
  • उन्नत बीज और समय पर बुवाई करें, ताकि गर्मी आने से पहले फसल की मुख्य वृद्धि पूरी हो सके।
  • फसल चक्र (Crop Rotation) अपनाकर मिट्टी में पोषक तत्त्वों की कमी से बचा जा सकता है।

किसानो के लिए ख़ास टिप्स

  1. फसल बीमा का लाभ उठाएँ
    • तेज़ गर्मी या प्राकृतिक आपदा से फसल नुकसान की स्थिति में फसल बीमा (Crop Insurance) किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है।
    • सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ लेकर अपने खेतों को सुरक्षित रखें।
  2. पानी का संरक्षण
    • बारिश के पानी का संग्रहण करें और सूखे के समय इसका उपयोग करें।
    • खेतों में रैन वाटर हार्वेस्टिंग (Rain Water Harvesting) संरचनाएँ बनाना एक स्थायी समाधान हो सकता है।
  3. उन्नत कृषि तकनीक
    • एग्रोमेट एडवाइजरी (Agromet Advisory) का अनुसरण करें, जिससे मौसम की जानकारी समय रहते मिले और उसी के हिसाब से फसल प्रबंधन किया जा सके।
    • सामाजिक मीडिया और कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से जुड़ी जानकारी हासिल करें, ताकि नई तकनीकों व फसलों के बारे में अपडेट मिलती रहे।
  4. मिट्टी की जाँच (Soil Testing)
    • खेत की मिट्टी की नियमित जांच कराएँ, जिससे आपको पता रहे कि कौन-कौन से पोषक तत्त्वों की कमी है।
    • मिट्टी की उर्वरता के अनुसार ही उर्वरकों का उपयोग करें।
  5. फसल चक्र और बीच में अंतर
    • फसल चक्र अपनाने से मिट्टी में पोषक तत्त्वों की कमी नहीं होती और फसल रोगों का भी प्रकोप कम होता है।
    • फसल पंक्तियों के बीच पर्याप्त दूरी (रोपणी अंतर) रखें, ताकि पौधों को पर्याप्त धूप व वायु संचार मिल सके।

गर्मी के मौसम में सरसों की फसल को बचाए रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है, लेकिन उचित समय पर बुवाई, पानी का प्रबंधन, उन्नत बीज, जैविक खाद और कीट-रोग नियंत्रण जैसे उपायों को अपनाकर किसान अच्छा उत्पादन ले सकते हैं। यदि अत्यधिक गर्मी के कारण सरसों की खेती में ज्यादा जोखिम लगता है, तो चना, मटर, अलसी या जौ जैसी वैकल्पिक फसलों को अपनाकर किसान नुकसान से बच सकते हैं। साथ ही, फसल बीमा, रैन वाटर हार्वेस्टिंग, और मिट्टी परीक्षण जैसे उपाय अपनाकर फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है।

इस तरह “गर्मी में फसल की देखभाल” से लेकर “फसल बीमा” तक विभिन्न तकनीकों का सही उपयोग किसान भाइयों की आय में वृद्धि करने के साथ-साथ उनकी खेती को भी स्थायी रूप से सुरक्षित रख सकता है। जरूरत है तो बस समय पर सही फैसले लेने और नई कृषि तकनीकों को अपनाने की, ताकि सरसों की खेती या कोई भी दूसरी फसल, गर्मी की चुनौतियों का सामना करते हुए भी भरपूर उत्पादन दे सके।

Vinod Yadav

विनोद यादव हरियाणा के रहने वाले है और इनको करीब 10 साल का न्यूज़ लेखन का अनुभव है। इन्होने लगभग सभी विषयों को कवर किया है लेकिन खेती और बिज़नेस में इनकी काफी अच्छी पकड़ है। मौजूदा समय में किसान योजना वेबसाइट के लिए अपने अनुभव को शेयर करते है। विनोद यादव से सम्पर्क करने के लिए आप कांटेक्ट वाले पेज का इस्तेमाल कर सकते है।

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