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BBSSL से जुड़ेंगी 20 हजार बीज समितियां, बीजों का होगा संरक्षण और किसानों का होगा फायदा!

By Vinod Yadav

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crop seed society

सरकार का किसानों से बहुत गहरा संबंध है। सरकार किसानों के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम चलाती है जो उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करने और उनकी खेती की प्रक्रिया को आसान बनाने में मदद करते हैं। इसी कड़ी मे जलवायु अनुकूल फसलों के लिए नई किस्मों के विकास के साथ ही बीजों के संरक्षण पर भी जोर दिया जा रहा है l केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (BBSSL) से 20,000 और सहकारी समितियों को जोड़ने के साथ ही पारंपरिक बीज किस्मों को संरक्षित करने को कहा है l इसमें कम पानी में पैदा होने वाली पारंपरिक फसलों के बीजों को संरक्षित करने के साथ ही हाइब्रिड बीजों की न्यूट्रीशन वैल्यू को मापने का निर्देश दिया है l

भारतीय बीज समिति ने कितने करोड़ बीज बेचे

आपको बता दे कि सहकारी संस्था भारतीय बीज समिति ने परिचालन शुरू करने के बाद से लगभग 41.5 करोड़ रुपये मूल्य के 41,773 क्विंटल बीज बेचे हैं l इसमें मुख्य रूप से गेहूं, मूंगफली, जई और बरसीम फसलों के बीज शामिल हैं lइसी के साथ भारतीय बीज समिति कई राज्यों में काम कर रही है l वर्तमान में छह राज्यों में 5,596 हेक्टेयर में स्थापित तथा प्रमाणित बीज पैदा किये जा रहे है l वही इसका सीधा फायदा किसानों को मिलेगा l मौजूदा रबी सीजन के दौरान 8 फसलों की 49 किस्मों की बुवाई की गई है, जिससे 164,804 क्विंटल उत्पादन होने की उम्मीद है l

हाइब्रिड बीजों की न्यूट्रीशन वैल्यू का होगा मूल्यांकन

जानकारी के मुताबिक केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने मंत्रालय और बीज सहकारी समिति को निर्धारित टारगेट की नियमित समीक्षा करने को कहा है l विशेष रूप से ऐसे बीज उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने को कहा है जो हाइब्रिड है लेकिन उनकी न्यूट्रीशन वैल्यू कम है l भारतीय बीज सहकारी समिति की प्रमोटर कंपनियों इफको और कृभको के साथ ही उर्वरक सहकारी समितियों से केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वे देशी और हाइब्रिड बीजों के न्यूट्रीशन वैल्यू की अच्छे से जांच करें l इसके अलावा दलहन और तिलहन का उत्पादन भी बढ़ाएं l

कम पानी वाले बीजों का होगा संरक्षण

जानकारी के अनुसार 2025-26 के दौरान 20,000 और सहकारी समितियों को लाने का लक्ष्य रखा गया है l इसके अलावा कम पानी में पैदा होने वाली बीज किस्मों को संरक्षित किया जायेगा l पारंपरिक बीजों के संग्रह और संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करने को कहा गया है l इसके लिए 10 साल का रोडमैप तैयार करने के निर्देश दे दिए गए है l

इन बीजों का संरक्षण आखिर क्यों है जरूरी

कम सिंचाई वाली फसलें जैसे कि ज्वार, बाजरा, मक्का, और तिल आदि का संरक्षण जरूरी है क्योंकि ये फसलें सूखा और कम पानी वाले क्षेत्रों में उगाई जा सकती हैं। कम सिंचाई वाली फसलें पानी की कमी वाले क्षेत्रों में उगाई जा सकती हैं, जिससे जल संचयन में मदद मिलती है।इन फसलों की जड़ें मिट्टी को स्थिर रखती हैं और मिट्टी के क्षरण को रोकती हैं।

इन फसलों की खेती से रोजगार के अवसर पैदा होते हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।इन फसलों की खेती से सामुदायिक विकास में मदद मिलती है क्योंकि इनमें सामुदायिक भागीदारी की आवश्यकता होती है।इन लाभों को देखते हुए, कम सिंचाई वाली फसलों का संरक्षण जरूरी है ताकि पर्यावरण, आर्थिक और सामाजिक लाभ प्राप्त कर सकें।

Vinod Yadav

विनोद यादव हरियाणा के रहने वाले है और इनको करीब 10 साल का न्यूज़ लेखन का अनुभव है। इन्होने लगभग सभी विषयों को कवर किया है लेकिन खेती और बिज़नेस में इनकी काफी अच्छी पकड़ है। मौजूदा समय में किसान योजना वेबसाइट के लिए अपने अनुभव को शेयर करते है। विनोद यादव से सम्पर्क करने के लिए आप कांटेक्ट वाले पेज का इस्तेमाल कर सकते है।

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