जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए बावल स्थित क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र में बायो कंट्रोल लैब स्थापित करने की तैयारी चल रही है। रिसर्च सेंटर की ओर से लैब खोलने को लेकर प्रोजेक्ट तैयार कर लिया गया है l हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय को भेज दिया गया है।
इस लैब में क्या रहेगा खास
इस लैब में दीमक,उखेड़ा रोग व फफूंदी रोग के नियंत्रण के लिए जीवाणुओं का उत्पादन किया जाएगा। इन जीवाणुओं में ट्राइकोडरमा, मेटारिजियम व बवेरिया आदि शामिल हैं। स्थानीय स्तर पर लैब में ये जीवाणु तैयार होने से जैविक खेती करने वाले किसानों को सस्ते दामों पर मिल जाएंगे। इसमें खास रहेगा कि जैविक खेती करने को किसानों के सामने जो दिक्कतें आएंगी, उनका भी समाधान होगा। जैविक खेती के लिए किसानों को लैब से बड़ी मदद मिलेगी। हालांकि, यह उम्मीद जताई जा रही है कि 2025 में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल सकती है। इसके साथ ही केंद्र की लैब में उपकरणों को भी हाइटेक किया जा रहा है। इसके बाद और बेहतर तरीके से रिसर्च हो सकेगी। केंद्र की लैब में 1 करोड़ 75 लाख रुपये की लागत से उपकरण दुरुस्त किए जा रहे हैं। प्रयोगशाला के उपकरण आधुनिक होने से रिसर्च कार्य में तेजी आएगी। साथ ही बेहतर तरीके से रिसर्च हो सकेगा। इससे अनुसंधान कार्यों में सुधार आएगा। यह कार्य भी जल्द पूरा कर लिया जायेगा l
जैविक खेती के लाभों में से एक यह है कि यह पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करती है। रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग करने से भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है और पर्यावरण प्रदूषित होता है, लेकिन जैविक खेती में ऐसा नहीं होता है। जैविक खेती से फसलों की गुणवत्ता भी बढ़ती है और वे स्वास्थ्यवर्धक होती हैं।
हाईटेक नर्सरी और शुष्क कृषि आधारित तकनीक भी है खास
शुष्क कृषि तकनीक में केंद्र को 1 करोड़ 55 लाख रुपये की स्वीकृति मिली है। इसमें रेवाड़ी जैसे जिले जिनमें कम वर्ष होती है, वहां पर किसानों को नई तकनीक से कैसे खेती करें, इसके लिए उनको बताया जाएगा। किसानों को आधुनिक और वैज्ञानिक तरीके से खेती करने के बारे में बताया जाता है। ताकि कम वर्षा वाली जगह पर भी अच्छा उत्पादन हो सके।
वहीं इसके अलावा हॉर्टीकल्चर (फलदार) पौधों के लिए भी हाइटेक नर्सरी बनाने की तैयारी चल रही है। इसमें शेड नेट और पॉली हाउस बनेगा। जिसमें पौधे संरक्षित रहेंगे। विपरीत मौसम में भी पौधे बेहतर बनेंगे। फुटाव अच्छा रहेगा। इसमें पानी भी ड्रिप, माइक्रो सूक्ष्म तरीके से होगा। इसके लिए 1 करोड़ रुपये मंजूर हो चुके हैं। इन सभी परियोजनाओं से न सिर्फ कृषि को अधिक तेज गति से विकसित किया जा सकेगा बल्कि किसानों को भी इसका दोगुना लाभ मिलेगा l