बथुआ की खेती करना बहुत ही आसान है क्योंकि इसमें लगत बहुत कम लगती है और मुनाफा अधिक होता है।

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वैसे तो बथुआ को कई अलग अलग नामों से जाना जाता है लेकिन इसका अंग्रेजी में व्हाइट गूसफुट (White Goosefoot) या लैम्ब क्वार्टर (Lamb’s Quarters) नाम है। 

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आमतौर पर बथुआ की खेती ठण्ड के मौसम में की जाती है क्योंकि ये दर्द मौसम को आसानी से सहन कर लेता है। 

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बथुआ की खेती दोमट और बलुआ दोनों ही प्रकार की मिटटी में बहुत ही आसानी से की जा सकती है। 

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इस समय बथुआ की कई उन्नत किस्मे भी मौजूद हैं जिनसे किसान भाई अच्छी पैदावार ले सकते है - इनमे चेनोपोडियम एलबम, विरिडी व चेनोपोडियम गिगेंटम परप्यूरियम मुख्य है। 

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बथुआ की फसल के लिए खेत तैयार करते समय 15-20 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद डालनी चाहिए। 

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बथुआ के बीज की बुवाई के लगभग 40-45 दिनों बाद बथुआ की फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। 

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बथुआ की फसल में बुआई से लेकर कटाई तक करीब 4 बार सिंचाई करने की जरुरत होती है। 

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