मध्य प्रदेश सरकार ने खरीफ सीजन 2024-25 में धान किसानों के खातों में 9 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि ट्रांसफर की है। 6.69 लाख किसानों को अपनी फसल की पूरी राशि मिल चुकी है, लेकिन अब भी कुछ किसान ऐसे हैं जिनके खातों में पैसा नहीं पहुंच पाया है। राज्य सरकार ने आश्वासन दिया है कि शेष राशि अगले एक सप्ताह के भीतर सभी किसानों के खातों में ट्रांसफर कर दी जाएगी। आइए जानते हैं इस प्रक्रिया से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।
मध्य प्रदेश में 43 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीद
मध्य प्रदेश सरकार ने इस सीजन में 43 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीद की है। धान खरीद प्रक्रिया की शुरुआत सितंबर में रजिस्ट्रेशन से हुई थी और 2 दिसंबर से किसानों से खरीदी गई फसल का भुगतान शुरू हुआ। राज्यभर में 1393 खरीद केंद्रों की स्थापना की गई थी, जहां किसानों ने अपनी उपज बेची।
9682 करोड़ रुपये की राशि का ट्रांसफर
किसानों को भुगतान के आंकड़ों के अनुसार, 9682 करोड़ रुपये से अधिक की राशि किसानों के खातों में ट्रांसफर की जा चुकी है। ये राशि सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर आधारित है, जो कि धान के कॉमन ग्रेड के लिए 2300 रुपये प्रति क्विंटल और ग्रेड-A के लिए 2320 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित की गई है।
शेष राशि का भुगतान जल्द होगा
राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन किसानों का भुगतान अभी तक नहीं हुआ है, उनका भुगतान शीघ्र ही किया जाएगा। सरकार ने आश्वासन दिया है कि शेष राशि अगले कुछ दिनों में किसानों के खातों में भेज दी जाएगी।
छत्तीसगढ़ ने बनाया नया रिकॉर्ड
इसी प्रकार, छत्तीसगढ़ ने भी 2024-25 सीजन में धान खरीद के मामले में एक नया रिकॉर्ड बनाया है। राज्य सरकार के कृषि विभाग के अनुसार, 25.49 लाख किसानों से 149 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई, जो कि पिछले साल की तुलना में करीब 4% अधिक है। छत्तीसगढ़ में धान की खरीद के लिए निर्धारित MSP के साथ-साथ बोनस राशि भी किसानों को दी जा रही है, जिससे सरकारी खरीद केंद्रों पर उपज बेचना किसानों के लिए फायदेमंद हो रहा है।
किसानों के लिए यह एक बड़ी राहत की बात है कि राज्य सरकारों ने धान खरीद के लिए बेहतरीन व्यवस्थाएं की हैं और किसानों को सही समय पर भुगतान किया जा रहा है। हालांकि, कुछ किसानों को अभी भी अपने पैसे का इंतजार है, लेकिन सरकार ने जल्द ही उनकी समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया है। आने वाले समय में सभी किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य मिल सकेगा।